नोएडा न्यूज़: इस महीने के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह तक मानसून आने की उम्मीद है. मानूसन में जलभराव की मुख्य वजह माने जाने वाले नालों की सफाई का काम अब शुरू हुआ है. शहर में 119 बड़े नाले हैं, इनमें से करीब 20 नालों की सफाई का काम अब जाकर शुरू हो सका. यानि 10 प्रतिशत नालों की सफाई का काम शुरू हुआ.
सभी नालों की सफाई का काम शुरू होने में करीब 10 दिन का और समय लगने की संभावना है. काम पूरा होने में करीब डेढ़ महीने का समय लगेगा. नालों की सफाई के लिए इस बार करीब एक महीने देरी से टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई. इस वजह से सफाई के काम में देरी होती चली गई.
जून महीने के पहले सप्ताह में टेंडर जारी किए गए. दावा किया गया था कि 10 जून से बड़े नालों की सफाई का काम शुरू करा दिया जाएगा, लेकिन अब से काम शुरू हो सका है. पूरे शहर में अभी करीब डेढ़ दर्जन बड़े नालों की सफाई की शुरुआत ही हो सकी है. प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि बाकी नालों की सफाई का काम इसी महीने शुरू करा दिया जाएगा. कोशिश है कि 15-20 जुलाई तक नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया जाए. अधिकारियों ने बताया कि बड़े नालों की पूरी तरह सिल्ट निकालकर सफाई की जाएगी. सिल्ट को तुरंत उठा लिया जाएगा.
शहर में जनस्वास्थ्य विभाग के दो डिवीजन में हैं. दोनों डिवीजन में करीब 119 बड़े नाले हैं. डिवीजन वन में सबसे ज्यादा 64 नाले हैं. ये नाले 700 मीटर से लेकर आठ किलोमीटर तक लंबे हैं. ये नाला छिजारसी बारातघर के पास से सेक्टर-34 सिंचाई नाले में आकर मिलता है. 64 नालों की लंबाई 143 किलोमीटर 300 मीटर है. दूसरे डिवीजन में 55 नाले हैं. इनकी लंबाई 119 किमी 600 मीटर है.
जलभराव के लिए प्राधिकरण जिम्मेदार
शहर में ड्रेनेज सिस्टम को बनाने और उसको जरूरत के हिसाब से बेहतर बनाने का काम नोएडा प्राधिकरण करता है. ऐसे में लोगों को जलभराव से होने वाली परेशानियों के लिए नोएडा प्राधिकरण जिम्मेदार है.
सेक्टर के साथ गांवों में होती है दिक्कत
इसके अलावा सेक्टर-19, 27 जैसे सेक्टर की नाले के मुकाबले नीची हो गई हैं जिससे थोड़ी बारिश होते ही घरों में पानी घुस जाता है. इसके अलावा फेज टू व एक्सप्रेसवे पर स्थित गांवों में भी थोड़ी सी बारिश में काफी पानी भर जाता है.
पिछले 20 सालों में बनीं अधिकांश योजनाएं फेल
शहर में ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए पिछले 20 सालों में आठ-दस बार योजनाएं बनीं लेकिन हर बार फेल हो गईं, लेकिन बीते छह-सात सालों में कुछ काम धरातल पर नजर आए. शहर में सेक्टर-50, 54 और 123 आदि के एसपटीपी की क्षमता बढ़ाई गई जिससे की शहर से आने वाले सीवेज को ट्रीट कर उसका प्रयोग किया जा सके. इसके अलावा मुख्य तौर पर नालों की सफाई को लेकर सख्ती बरती गई. पहले के सालों में सभी नाले कागजों में ही साफ हो जाते थे, लेकिन सीईओ खुद इस मामले की मॉनीटीरिंग करती हैं. कुछ जगह पुलिया और नालियां बनाकर पानी निकासी की व्यवस्था की जा रही है.
शहर में जलभराव होने के चार प्रमुख कारण
बढ़ती आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक आठ लाख जनसंख्या थी. अभी अनुमान के मुताबिक शहर की आबादी 15-17 लाख के आसपास हो चुकी है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि नोएडा में वर्ष 2031 तक 21 लाख से अधिक आबादी होने का अनुमान है. सीवेज सिस्टम कम आबादी के हिसाब से तैयार है. ऐसे में पुरानी लाइन जाम पड़ी रहती हैैं.
नाले-नालियों पर अतिक्रमण शहर में जलभराव का एक प्रमुख कारण नाले और नालियों पर हुआ अतिक्रमण भी है. इससे इनकी सफाई ठीक से नहीं हो पाती है और पानी सड़कों पर आ जाता है. लगभग हर सेक्टर के हर ब्लाक में घरों के सामने अतिक्रमण है. प्राधिकरण ने कई बार नोटिस जारी कर अतिक्रमण तोड़ने के लिए कहा है, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से लिया है.
नालों की ठीक ढंग से सफाई नहीं होना जलभराव होने की मुख्य वजह नालों की ठीक ढंग से सफाई नहीं होना है. यहां 100 से अधिक बड़े नाले हैं. कागजों में सफाई होती है, जबकि मौके पर नालों में जमा गंदगी देखी जा सकती है. नालों की सफाई पर हर साल 10 करोड़ से अधिक खर्च होते हैं.
जल विभाग भी तैयारियों को लेकर गंभीर नहीं
नोएडा प्राधिकरण के ही जल विभाग की ओर से भी अभी जलभराव से निपटने के लिए गंभीरता से तैयारी शुरू नहीं की गई है. शहर में करीब दो दर्जन जलभराव वाले स्थान चिन्हित हैं, जहां हर थोड़ी तेज बारिश में पानी भर जाता है. इन प्वाइंट को जलभराव की लिस्ट से बाहर निकालने में प्राधिकरण सफल नहीं हो रहा है.
आगे की योजना तैयार होगी प्राधिकरण अधिकारियों कहना है कि अगले 20 साल के हिसाब से योजना तैयार की जा रही है. बढ़ती जनसंख्या की वजह से अब पुरानी योजना को बदल नए सिरे से तैयार किया जाएगा. अनुमान है कि अगले 10 साल में ही आबादी पांच लाख और बढ़ेगी. यह आबादी ग्रेनो की ओर ग्रेनो एक्सप्रेसवे के आसपास बसेगी.
सड़क के पास का स्थान पक्का होना पहले सड़क के पास का स्थान कच्चा होता, जो बरसात का पानी सोख लेता था लेकिन अब यहां पर अधिकांश हिस्सा पक्का हो रहा है. इससे बारिश का पानी सड़कों से सीधे नाले-नालियों में पहुंच रहा है जिसकी वजह से वे थोड़ी बारिश में ही ओवर-फ्लो हो जाते हैं. सेक्टर-19, 20, 27, 62, 63, 64, 65 समेत शहर की कई सड़कों का यही हाल है.