दुनिया के सातवें सबसे बड़े लिथियम भंडार की मोदी सरकार करने जा रही नीलामी, इतने अरब का है खजाना
सरकार करने जा रही नीलामी, इतने अरब का है खजाना
नई दिल्ली केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर में मिले दुनिया के सातवें सबसे बड़े लिथियम भंडार की नीलामी करने जा रही है। इसी साल रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन अनुमानित लिथियम संसाधनों की खोज की गई थी। इस खोज के बाद यह इलाका रातोरात सुर्खियों में आ गया था। यहां 59 लाख टन लिथियम भंडार मौजूद होने का अनुमान जताया गया है। जानकारी के मुताबिक अगले कुछ सप्ताह में केंद्र सरकार नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। इसके लिए कुछ विदेशी कंपनियां भी संपर्क में हैं। खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को हाल ही में संसद से मंजूरी मिली है, जिसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, लैपटॉप और मोबाइल समेत ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी बनाने के लिए लिथियम सबसे महत्वपूर्ण रॉ-मटेरियल है।
एएनआई के अनुसार खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के रियासी में पाए जाने वाले लिथियम के भंडार की नीलामी दिसंबर तक शुरू हो जाएगी। मंगलवार को एक उद्योग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सचिव ने कहा कि मंत्रालय ने लिथियम नीलामी के लिए लेनदेन सलाहकार के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन को लिखा है।
भारद्वाज ने कहा, "हमने अपतटीय खनन अधिनियम में संशोधन पर हितधारकों के साथ परामर्श प्रक्रिया पूरी कर ली है। उम्मीद है कि हम जल्द ही इसे संसद में चर्चा के लिए लाएंगे।"
वास्तव में चूना पत्थर की तलाश कर रहे थे
उन्होंने आगे कहा, "हम 5.9 मिलियन टन लिथियम की खोज करने के लिए भाग्यशाली रहे हैं। हम वास्तव में चूना पत्थर की तलाश कर रहे थे जो जम्मू कश्मीर में उपलब्ध हैं। हमें चूना पत्थर, बॉक्साइट और लिथियम एक साथ मिले। इन खनिजों में अन्वेषण में नए सिरे से रुचि पैदा हुई है।"
जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार
जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम की खोज के बाद भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा लिथियम भंडार वाला देश बन गया है। भारत में भंडार मिलने से पहले यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार दुनिया भर में 9.8 करोड़ टन लिथियम का भंडार था, लेकिन अब भारत में मिले लिथियम के भंडार के बाद ये आंकड़ा बढ़कर 10.39 करोड़ टन हो गया है।
आत्मनिर्भर बनेगा भारत
अभी तक भारत में लिथियम का 100 फीसदी आयात किया जाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में 2.8 अरब डॉलर यानी लगभग 23 हजार करोड़ रुपये की लिथियम आयन बैटरी दूसरे देशों से खरीदी गई थी। इसमें भी 95 फीसदी लिथियम ऑयन बैटरी की खरीदारी अकेले चीन और हॉन्ग कॉन्ग से की गई थी।
चिली से भी चल रही बातचीत
फरवरी में रियासी जिले में मिले लिथियम के भंडार के बाद सरकार को काफी उम्मीदें थीं। जानकारी के मुताबिक चिली की सरकार के साथ भी भारत इस भंडार को सुरक्षित करने के लिए बातचीत कर रहा है। हालांकि यह बातचीत अभी शुरुआती चरण में है। सरकार को उम्मीद है कि इस नीलामी से उसके खजाने में भारी बढ़ोतरी होगी। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को संसद से मंजूरी मिली है। इस बिल के पास होने के बाद सरकार ने नीलामी की प्रक्रिया में तेजी की है।
बोलिविया में है सबसे बड़ा भंडार
लिथियम भंडार के मामले में बोलिविया दुनिया में पहले नंबर पर है। इसके बाद दूसरे नंबर पर अर्जेंटीना, तीसरे स्थान पर अमेरिका, चौथे पर चिली, 5वें नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और छठे स्थान पर चीन है। इन देशों के पास दुनिया का 76% लिथियम भंडार है। इन देशों में लिथियम का कितना बड़ा भंडार मौजूद है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया का करीब 76 फीसदी लिथियम इन्हीं देशों के पास मौजूद हैं। भारत में लिथियम मिलने से पहले दुनियाभर में 9.8 करोड़ टन लिथियम का भंडार था जो अब बढ़कर 10.59 करोड़ टन हो गया है।
भारत को होगा बड़ा फायदा
जम्मू-कश्मीर में मिले लिथियम की अनुमानित कीमत करीब 3000 अरब रुपये बताई जा रही है। इसकी नीलामी से केंद्र सरकार के खजाने में भारी बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों को इसका सबसे बड़ा फायदा होगा। फिलहाल भारत में 100 फीसदी लिथियम आयात किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 50 लाख रुपये है।
सस्ते हो जाएंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
लिथियम एक महत्वपूर्ण खनिज है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए बैटरी बनाने में होता है। भारत में लिथियम भंडार मिलने से सबसे ज्यादा फायदा इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को होगा। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत कम होगी। शुरुआती अनुमानों के मुताबिक ये भंडार भारत में लिथियम की जरूरत को पूरा करने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।
अर्जेंटीना में लिथियम ब्लॉक्स के लिए सौदा
काबिल अर्जेंटीना में कुछ लिथियम ब्लॉकों को सुरक्षित करने के लिए सरकारी प्रयास निर्णायक दौर में हैं। लिथियम ब्लॉक सुरक्षित करने के लिए चिली सरकार के साथ भी चर्चा की जा रही है। यह बातचीत अभी शुरुआती फेज में है। सरकार लिथियम की सप्लाई सुरक्षित करने के तरीके तलाश रही है।
अगस्त 2019 में हुई KABIL की स्थापना
खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड यानी KABIL की स्थापना अगस्त 2019 में हुई थी। ये केन्द्र सरकार के तीन संस्थानों का जॉइंट वेंचर है जिसमें नेशनल एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), मिनरल एक्सप्लोरेशन कंपनी लिमिटेड (MECL) और हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) शामिल हैं। भारत में इस्तेमाल के लिए विदेशों में रणनीतिक खनिजों की पहचान, अधिग्रहण, विकास और प्रसंस्करण इसको बनाने के पीछे का कारण था। भारत, दुनिया के टॉप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जकों में से एक है। ऐसे में इसे घटाने के लिए भारत ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और चिली जैसे संसाधनों से लैस देशों में प्रमुख खनिजों को सुरक्षित करने के लिए समझौते कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 50 लाख रुपये है। भारत के जम्मू में 59 लाख टन लिथियम मिलने की संभावना है। इस हिसाब यहां इसकी कीमत करीब 3000 अरब रुपये आंकी जा रही है। लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु में से एक है। आसान भाषा में समझें तो ये इतना नर्म होता है कि इसे आसानी चाकू से काटा जा सकता है और ये इतना हल्का होता है कि ये आसानी से पानी पर तैर भी सकता है।