कुलपति से दिल्ली विश्वविद्यालय के शीर्ष निकाय के सदस्यों ने नए पाठ्यक्रम में संशोधन की अपील की

Update: 2022-07-12 06:21 GMT

दिल्ली न्यूज़: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की कार्यकारी परिषद के दो सदस्यों ने विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश ङ्क्षसह को पत्र लिखकर नए पाठ्यक्रम की संरचना में 'संशोधन' करने का आग्रह किया है और दावा किया है कि इससे शैक्षणिक श्रम कम हो सकता है। नया पाठ्यक्रम शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से लागू होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार तैयार स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा (यूजीसीएफ) को विश्वविद्यालय के निर्णय लेने के शीर्ष निकाय- कार्यकारी परिषद ने 11 फरवरी को मंजूरी दी थी। शिक्षकों के एक समूह ने यूजीसीएफ की प्रस्तावित संरचना का विरोध किया है। ईसी के दो सदस्यों सीमा दास और राजपाल ङ्क्षसह पंवार ने कुलपति को लिखे पत्र में तर्क दिया है कि यूजीसीएफ को एक अतिरिक्त-सांविधिक निकाय - एनईपी प्रकोष्ठ ने लापरवाही से तैयार किया है।

पत्र में कहा गया है, दिल्ली विश्वविद्यालय एक प्रमुख संस्थान रहा है, जिसकी उ'च स्तर के शिक्षण, अध्ययन और अनुसंधान के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है। इसमें कहा गया है, नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के आधार पर स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा (यूजीसीएफ), 2022 को एक अतिरिक्त-सांविधिक निकाय यानी एनईपी प्रकोष्ठ ने लापरवाही से तैयार किया है, जो अकादमिक सख्ती को कम करता है। उन्होंने कहा कि नए पाठ्यक्रम से विशेष रूप से तदर्थ आधार पर नियुक्त किए गए शिक्षकों का बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा। सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि डीयू ने हाल में निर्देश दिया है कि किसी भी तदर्थ या अतिथि शिक्षक की नियुक्ति तब तक नहीं होगी, जब तक कि प्रत्येक शिक्षक प्रति सप्ताह 16 लेक्चर न ले ले, लेकिन इससे संकाय सदस्यों द्वारा किए जाने वाले शोध की महत्ता नजरअंदाज होगी और गुणवत्तापूर्ण शोध के महत्व को कम करके आंके जाने की स्थिति पैदा होगी। सदस्यों ने यह भी कहा कि मुख्य विषयों को मिलने वाला कुल महत्व कम करके मात्र 45 और 50 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे अकादमिक श्रम कम होगा। सदस्यों ने कहा, ''हम आपसे (कुलपति से) यूजीसीएफ के कार्यान्वयन के दौरान उपर्युक्त तथ्यों पर विचार करने, उन पर गौर करने तथा और देरी किए बिना आवश्यक संशोधन करने का अनुरोध करते हैं।    

Tags:    

Similar News

-->