वर्षा जल संरक्षण एव संवर्धन के लिए 30 दिन में बनेगा मास्टर प्लान, जानिए पूरे खबर

Update: 2022-06-13 06:14 GMT

दिल्ली न्यूज़: दिल्ली के असोला इलाके में वर्षा जल संग्रहण किया जाएगा। जल संरक्षण, भूजल संवर्धन और इस वन क्षेत्र को इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के लिए अधिकारी मास्टर प्लान बनाएंगे। प्लान को सम्बंधित विभागों के अधिकारियों की समिति, विशेषज्ञों, संस्थानों की सलाह से तैयार किया जएगा। साथ ही इस इलाके में एक लाख फूलों वाले मोरिंगा, चेंबू, हनी ट्री, जामुन और बांस के पेड़ लगाए जाएंगे और तितली, वन्यजीव ट्रेल, साइकल ट्रैक और पैदल पथ, पक्षियों को देखने के स्थल और रोप वे के विकास और निर्माण भी किया जाएगा ताकि असोला भाटी विश्व स्तरीय पर्यटक डेस्टिनेशन बन सके। इस बाबत जरूरी निर्देश दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज असोला, भाटी माइंस वन क्षेत्र के दौरे के मौके पर दिए। उन्होने अधिकारियों को 30 दिन में वर्षा जल संग्रहण के लिए क्षेत्र में स्थित अनेक बड़े छोटे गड्ढों, खाइयों का जलाशय के रूप में इस्तेमाल, बाढ़, जल जमाव तथा नालों के पानी का सदुपयोग कर संरक्षण, भूजल संवर्धन और इस वन क्षेत्र को इको टूरिज्म स्थल बनाने के लिए मास्टर प्लान बनाने के निर्देश दिए। विभिन्न विभागों के अधिकारियों की समिति विशेषज्ञों और संस्थानों से सलाह मशविरा के बाद यह प्लान तैयार किया जाएगा।

उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस बात से सहमत दिखे कि भूजल संवर्धन, जल संचयन के लिए मौजूद छोटे बड़े 14 गड्ढों में लगभग 800 मिलियन गैलन पानी जमा किया जा सकता है। इसी के मद्दे नजर पूरे इलाके के कायाकल्प और पुनर्विकास के लिए एक मास्टर प्लान बनाया जाएगा। उपराज्यपाल ने इस क्षेत्र के दौरे के बाद 31 मई को अधिकारियों को इन सम्भावनाओं पर विचार करने को कहा था। इसके बाद मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल की के बीच हुई बैठक के बाद इस क्षेत्र का संयुक्त दौरा करने का निर्णय लिया गया। बता दें कि संरक्षित वन क्षेत्र में मॉनसून के दौरान निचले इलाकों में उपर से बह कर आते पानी से जल जमाव हो जाता है और बाढ़ का पानी भर जाता है। जबकि वन क्षेत्र के बाहर बहने वाले नाले मॉनसून के दौरान क्षमता से अधिक बहने लगते है और इलाके में मौजूद निचली आबादी वाले इलाकों में जलभराव करते हैं। अधिकारियों को निर्देश दिये गए कि वह उपर से बह कर आने वाले पानी को बांध बना कर रोकें, फिर उस पानी को प्रेशर पम्पिंग से चिन्हित गड्ढों में डालें। इसी प्रकार आसपास के इलोकों के नालों तथा आबादी क्षेत्रों में वर्षा से होने वाले जल जमाव, भराव तथा बाढ़ के पानी को भी चैनलों और पम्पिंग के माध्यम से इन खाइयों, गड्ढों तक पहुंचाने के उपाय ढूंढने के निर्देश दिए।

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