उपराज्यपाल और आप सरकार एक बार फिर आमने-सामने: उपराज्यपाल का आदेश, मुझे मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बाद ही भेजें फाइलें

Update: 2022-08-24 05:37 GMT

दिल्ली न्यूज़: उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और आप सरकार एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से आ रही फाइलों पर आपके हस्ताक्षर नहीं होते हैं। इन फाइलों पर यही लिखा होता है कि मुख्यमंत्री ने देख लिया है और प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है। जबकि ऐसा केवल बीमार होने या कहीं बाहर रहने पर ही लिखा जाता है। उपराज्यपाल ने पत्र में मुख्यमंत्री से हर फाइल पर हस्ताक्षर करने को कहा है। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री से सभी सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस प्रणाली शुरू करने के लिए भी कहा है, ताकि फाइलों की निर्बाध आवाजाही हो सके। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उपराज्यपाल ने सीएम केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा कि उनके (केजरीवाल) हस्ताक्षर के बिना ही मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा फाइल उनकी राय और मंजूरी के लिए भेजी जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार सक्सेना ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विभिन्न प्रस्तावों पर उनकी राय या मंजूरी के लिए उनके पास भेजी जाने वाली सभी फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर हों। दिल्ली सरकार से इस बाबत पूछने पर उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

एक सूत्र ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हस्ताक्षर के बगैर उपराज्यपाल की राय, उनके विचार और मंजूरी के लिए फाइल सीएमओ द्वारा भेजी जा रही हैं। इन फाइल पर अक्सर सीएम ने देखा है और मंजूरी दी है जैसी उनके कनिष्ठ अधिकारियों की टिप्पणियां होती हैं। सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बिना उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी जा रही फाइल शहर के प्रशासन और शासन के साथ ही अत्यंत संवेदनशील मामलों से संबंधित होती हैं। उपराज्यपाल ने मैनुअल ऑफ ऑफिस प्रक्रिया- 2022 के एक प्रावधान का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि दुर्लभ और जरूरी मामलों में जब कोई मंत्री बीमार होता है या यात्रा कर रहा होता है, तो उसकी मंजूरी टेलीफोन पर ली जा सकती है और उसके निजी सचिव द्वारा लिखित में सूचित किया जा सकता है। हालांकि मंत्री लौटने के बाद इसकी पुष्टि करेंगे। उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा है कि यह अतीत से बिल्कुल अलग है। 1993-2013 के बीच मुख्यमंत्रियों ने इस तरह की फाइलों पर विधिवत हस्ताक्षर किए थे।

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