कंझावला केस: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने सातवें आरोपी अंकुश को दी जमानत

Update: 2023-01-07 16:25 GMT
दिल्ली की रोहिणी अदालत ने शनिवार को कंझावला मौत मामले के सातवें आरोपी अंकुश को जमानत दे दी है। छह अन्य आरोपी पुलिस हिरासत में हैं। अंकुश ने शुक्रवार को सुल्तानपुरी थाने में आत्मसमर्पण कर दिया था।
पुलिस रोज बदल रही कहानी
पुलिस कंझावला मामले में बिल्कुल नौसिखिए की तरह जांच कर रही है। यही वजह है कि पुलिस रोज एक नई कहानी मीडिया के सामने लेकर आ रही है। वारदात के तुरंत बाद पुलिस ने आनन-फानन में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर केस सुलझाने का दावा किया। समय बीतने के साथ हर दिन पुलिस नई थ्योरी और कहानी के साथ सामने आई। जानकारों का कहना है कि गैर पेशेवर तरीके से की गई जांच इसकी बड़ी वजह है। हादसे के छह दिन बाद शुक्रवार को पुलिस ने दावा किया है कि अंजलि को जिस कार से घसीटा गया था उसमें पांच नहीं, चार आरोपी मौजूद थे। अगर जांच में सतर्कता बरती गई होती तो इस तथ्य का पता सीडीआर की मदद से पहले ही दिन लग सकता था। उधर, पुलिस ने इस मामले में अंजलि की सहेली निधि को थाने बुलाकर पूछताछ की।अब तक स्पष्ट नहीं किस आरोपी की हादसे में भूमिका
दिल्ली पुलिस अभी भी यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं कर सकी है कि किस आरोपी की हादसे में क्या भूमिका थी। ऐसा लग रहा है कि आरोपी जो कहानी पुलिस को सुनाते हैं, पुलिस उसे हकीकत समझकर मीडिया को बयां कर देती है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि इस मामले की गंभीरता को समझा जाता तो कम से कम वारदात की बेसिक जानकारी स्पष्ट होती, लेकिन हर दिन नई कहानी सामने आई। पहले दिन यह कहा गया कि अंजलि हादसे के समय अकेली थी। लेकिन दो दिन बाद अचानक कहानी में अंजलि की दोस्त निधि आ जाती है और पुलिस उसे थाने लाकर उससे पूछताछ की जाती है। संदिग्ध भूमिका वाली निधि भी पुलिस को रोजाना अलग-अलग कहानी सुनाती है। छह दिन बाद पुलिस बताती है कि हादसे वाली कार दीपक नहीं बल्कि उसका चचेरा भाई अमित खन्ना चला रहा था। वारदात के समय दीपक तो अपने घर पर मौजूद था।कोई दिन ऐसा नहीं जा रहा जिस दिन दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त सागरप्रीत हुड्डा मीडिया से जानकारी साझा न करते हो। गुरुवार को पुलिस ने मामले में अचानक दो और आरोपी आशुतोष और अंकुश को भी शामिल कर लिया। पुलिस का कहना था कि इन लोगों ने आरोपियों की मदद की। घटना की जानकारी होने के बाद भी तथ्यों को छिपाया। इसलिए इनको भी इस पूरे कांड में शामिल किया गया है, जबकि कार का मालिक आशुतोष था। पुलिस उसे बुलाकर हकीकत का पता कर सकती थी। सूत्रों का कहना है कि घटना के समय हुई पीसीआर कॉल और पुलिस की सक्रियता से लेकर उसकी जांच हर मामले में घोर लापरवाही बरती गई। यही वजह है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की खूब किरकिरी हो रही है। सूत्रों का कहना है कि यदि मामला मीडिया की सुर्खियों में न आया होता तो शायद इसे सामान्य सड़क हादसे का केस बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता।
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