इसरो को लैंडर और प्रज्ञान रोवर से नहीं मिला सिग्नल, जारी हैं दोनों के बीच कनेक्ट बनाने के प्रयास
जारी हैं दोनों के बीच कनेक्ट बनाने के प्रयास
नई दिल्ली। इसरो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के बीच कनेक्शन को दुरुस्त करने की कोशिश कर रहा है। दोनों को एक बार फिर से जागने की कोशिश की जा रही है। हालांकि अभी तक इसरो को उनकी ओर से कोई सिग्नल नहीं प्राप्त हुआ है। वहीं इसरो ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों के बीच कनेक्ट बनाने के लिए प्रयास जारी है।
इसरो पहले प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को 22 सितंबर को एक्टिवेट करने वाला था। लेकिन अभी तक यह नहीं हो पाया है। अगर दोनों के बीच कनेक्ट हो जाता है तो शनिवार को दोनों को एक्टिवेट किया जाएगा।
23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई थी। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का चंद्रमा पर जीवन 14 दिन का है। बता दें कि चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है। चंद्रमा पर 14 दिन और 14 रात होती है।
ज्ञातव्य है कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को काम करने के लिए बिजली की जरूरत होती है और इनको सोलर के जरिए ही बिजली मिलती है। यानी जब चंद्रमा पर दिन होता है, इस दौरान विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर काम करते हैं। चंद्रमा पर रात के समय में बिजली नहीं होती तो इसीलिए यह दोनों काम भी नहीं कर सकते हैं।
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा, “रात में चंद्रमा पर तापमान शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। इस तरह के कठोर वातावरण में, बैट्री और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। लेकिन हमने कुछ परीक्षण किए हैं। इसलिए हमें उम्मीद है कि विक्रम और प्रज्ञान कठोर मौसम की स्थिति से बच सकते हैं। वो फिर से काम पर वापस आ सकते हैं।”
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार यदि लैंडर और रोवर एक्टिव नहीं होते हैं तो ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। इनको भेजा ही जाता है अंतरिक्ष में शोध करने के लिए। इनका बार-बार इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हालांकि यदि यह दोनों एक्टिव हो जाते हैं तो चंद्रमा से और जानकारियां भी आ सकती है। माना जाता है कि अगर रोवर और लैंडर को पृथ्वी पर वापस लाने का प्रयास किया जाए, तो इनके ऊपर जितना खर्च आएगा, उतने में दूसरा मिशन पूरा किया जा सकता है।