नोएडा न्यूज़: शहर के पांच सेक्टर में स्थित स्पोर्ट्स सिटी परियोजना की एक बार फिर जांच होगी. जांच के आधार पर स्टेटस रिपोर्ट नोएडा प्राधिकरण को दो सप्ताह में देनी होगी. इसके लिए अफसर मौके पर जाकर जमीन की वास्तविक स्थिति देखेंगे. लखनऊ में हुई लोक लेखा समिति की बैठक के दौरान सभापति ने ये निर्देश दिए.
सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में स्पोर्ट्स सिटी परियोजना 12-13 साल पहले लाई गई थी. कुल आवंटित भूखंड के 70 प्रतिशत हिस्से में खेल सुविधाएं, 28 प्रतिशत में ग्रुप हाउसिंग और बचे दो प्रतिशत हिस्से में व्यावसायिक और संस्थागत संपत्ति से संबंधित चीजें विकसित की जानी थीं. इसके लिए सस्ते दामों पर बिल्डरों को जमीन दी गई. बिल्डरों ने मुनाफा कमाने के लिए आवासीय और व्यावसायिक चीजें बना दीं, लेकिन खेल सुविधाएं विकसित नहीं की. सीएजी ने प्राधिकरण के कामकाज की तरह स्पोर्ट्स सिटी की भी जांच की थी. इस परियोजना को लेकर 24 आपत्ति लगाते हुए 8643 करोड़ रुपये का घोटाला होना बताया था.
सीएजी ने पूरी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की थी. अब इस मामले में लोक लेखा समिति जांच कर रही है. इसी क्रम में लोक लेखा समिति के सभापति महबूब अली की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण, सचिव अनिल सागर, नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी सहित अन्य अफसर थे. बैठक सुबह करीब 11 बजे शुरू होकर तीन बजे तक चली.
अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लोक लेखा समिति ने एक-एक आपत्ति को लेकर अफसरों से जवाब मांगा. समिति ने निर्देश दिया कि फिर से स्पोर्ट्स सिटी परियोजना की जांच की जाए. इस परियोजना के तहत जमीन आवंटन करते समय क्या-क्या नियम थे. हर बिंदु के आधार पर मौके पर जाकर जांच करें. बिल्डर को आवंटित कुल जमीन में से आवासीय, संस्थागत, व्यावसायिक आदि के लिए मौके पर कितनी जमीन बची है समेत अन्य चीजों की गहनता से जांच की जाए. दो सप्ताह में इसकी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. रिपोर्ट देखने के बाद इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए रास्ते तलाशे जाएंगे.
तीन बिल्डरों को दी गई थी जमीन:
जांच के बाद सीएजी ने ये आपत्तियां लगाईं थीं
●प्राधिकरण द्वारा भूमि की दर अत्यन्त कम लगाई गई
●स्थल पर खेलकूद सुविधाओं का विकास नहीं हुआ
●सब लीज इस प्रकार की गई है कि किसी एक खेलकूद की गतिविधि को दो या दो से अधिक विकासकर्ताओं को दे दिया गया. अत एकीकृत रूप से खेलकूद की गतिविधियां विकसित नहीं की जा सकती हैं.
●खेलकूद सुविधाओं के विकास से पूर्व एफएआर को ग्रुप हाउसिंग में स्थानांतरित कर दिया गया.
●स्पोर्ट्स सिटी में आवासीय तथा वाणिज्यिक गतिविधियां स्वीटनर की तरह अनुमन्य की गई थी, लेकिन आवंटी /उप पट्टा धारकों द्वारा खेल सुविधाओं का विकास न करके निर्माण कर लिया गया.
●अपात्र विकासकर्ताओं को भी स्पोर्ट्स सिटी के भूखंड आवंटित किए गए.
अगली बैठक में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी
दो सप्ताह में नोएडा प्राधिकरण के अफसर रिपोर्ट लोक लेखा समिति में प्रस्तुत कर देंगे. इसके बाद फिर से इस मामले में बैठक होगी. रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होगी.
न्यायालय में चल रहे मामलों की जानकारी ली
समिति ने स्पोर्ट्स सिटी से संबंधित न्यायालय में चल रहे मामलों की जानकारी ली. अफसरों से कहा कि केस की स्टेटस रिपोर्ट भी अगली बैठक में प्रस्तुत की जाए.
समिति ने पूछा, पहले क्यों नहीं रोका गया
समिति ने बैठक में मौजूद अफसरों से पूछा कि आवंटन की शर्तों का जब उल्लंघन हो रहा था तो बिल्डरों को ऐसा करने से क्यों नहीं रोका गया. अब क्यों रोका गया. इस पर मौजूद अफसरों ने कहा कि अधिकांश नियमों का उल्लंघन तत्कालीन अधिकारियों के कार्यकाल में हुआ.
कब्जा भी नहीं मिला और रजिस्ट्री भी अटकी
स्पोर्टस सिटी की परियोजनाओं में ही 10-15 हजार फ्लैट की रजिस्ट्री अटकी पड़ी है. कब्जे के लिए भी काफी संख्या में खरीदार इंतजार कर रहे हैं. खरीदार पूरा पैसा बिल्डरों को दे चुके लेकिन प्राधिकरण की रोक के कारण रजिस्ट्री नहीं हो पा रही हैै.
स्पोर्ट्स सिटी के लिए नोएडा प्राधिकरण ने तीन बिल्डरों को पांच सेक्टरों में चार भूखंड आवंटित किए गए थे. थ्री सी ग्रीन डेवलपर्स को सेक्टर-78, 79, 101 में, लॉजिक्स इंफ्रा प्राइवेट डेवलपर्स और थ्री सी ग्रीन डेवलपर्स को 150 में और एटीएस होम्स प्राइवेट लिमिटेड को 152 में जमीन दी गई थी. अब इन चार भूखंड के 79 सबडिवीजन हो चुके हैं. इन बिल्डरों पर प्राधिकरण का करीब 8200 करोड़ रुपये बकाया हो गया है.