दिल्ली सिटी न्यूज़ स्पेशल: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि दिसंबर 2024 तक भारत की सड़कों को भी अमेरिका जैसा बना दिया जाएगा। मंगलवार को लोक सभा में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि , अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन कैनेडी का एक वाक्य मैं हमेशा याद रखता हूं कि अमेरिका की सड़कें, इसलिए अच्छी नहीं है क्योंकि अमेरिका अमीर देश है। अमेरिका इसलिए अमीर है क्योंकि यहां की सड़कें बहुत अच्छी है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि दिसंबर 2024 के पहले भारत को रोड इंफ्रास्ट्रक्च र अमेरिका के बराबर होगा। वहीं देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए नितिन गडकरी की तारीफ करते हुए भाजपा सांसद तापिर गाओ ने उन्हें स्पाइडरमैन के खिताब से नवाज दिया। देश में तेज गति से किए जा रहे सड़क और हाईवे निर्माण परियोजनाओं का जिक्र करते हुए गडकरी ने लोक सभा में बताया कि उनके मंत्रालय ने चार वल्र्ड रिकॉर्ड बना दिए हैं। गडकरी ने कहा कि आने वाले समय में देश के कई शहरों की देश की राजधानी दिल्ली से दूरी महज 2 घंटे की रह जायेगी। दिल्ली से मेरठ की दूरी 40 मिनट रह जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पेट्रोल-डीजल की बचत होती है जिसका आर्थिक फायदा भी भारत को होता है।
उन्होंने बताया कि सरकार लॉजिस्टिक्स कीमत को कम करने के साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ग्रीन हाईवे पर भी तेजी से काम कर रही है। उन्होंने पिथौरागढ़ के जरिए मानस सरोवर तक पहुंचने की सड़क परियोजना का 85 प्रतिशत काम पूरा हो जाने की जानकारी देते हुए इस सड़क के दिसंबर 2023 तक पूरा होने का दावा किया। पिछली सरकारों के कामकाज के रवैये पर सवाल उठाते हुए गडकरी ने कहा कि जब उन्होंने यह मंत्रालय संभाला था तो उस समय 385 लाख करोड़ की 403 परियोजनाएं लंबित थी। उन्होंने पर्यावरण कानूनों की वजह से सड़क परियोजनाओं में हो रही लेट-लतीफी का जिक्र करते हुए संसद से इस कानून पर पुनर्विचार करने की भी मांग की। उन्होंने पारदर्शी से और तेजी से काम करने का दावा करते हुए कहा कि 50 लाख करोड़ से ज्यादा के काम वो करवा चुके हैं लेकिन कोई भी इसमें गड़बड़ी का आरोप नहीं लगा सकता है। उन्होंने कई परियोजनाओं का जिक्र करते हुए यह दावा भी किया कि उनके मंत्रालय ने सही दिशा में काम कर हजारों करोड़ रुपये की बचत की है। बैंकों का 3 लाख करोड़ रुपये एनपीए होने से बचाया। उन्होंने देश के 28 राष्ट्रीय राजमार्गों पर बन चुके और बनने वाले 28 रनवे का जिक्र करते हुए लोक सभा में मौजूद नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इन राजमार्गों के आसपास छोटे-छोटे एयरपोर्ट बनाने की भी सलाह दी।
सड़कों के निर्माण में देश की आम जनता द्वारा निवेश करने की बात कहते हुए गडकरी ने बताया कि सेबी की अनुमति मिलने के बाद देश का गरीब आदमी भी एनएचएआई बॉन्ड में निवेश कर सकेगा। उन्होंने कहा कि एनएचएआई में निवेश करने वालों को 7 प्रतिशत की दर से ब्याज भी मिलेगा। केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए गडकरी ने लोक सभा में बताया कि सड़क यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर सरकार ने चार पहिया वाहनों में छह एयर बैग को अनिवार्य कर दिया है। सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े पर चिंता जाहिर करते हुए गडकरी ने कहा कि देश में हर साल होने वाली 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा देते हैं, 3 लाख लोग विकलांग हो जाते हैं और देश की जीडीपी को 3 प्रतिशत का नुकसान होता है।
उन्होंने इसे कम करने के तमिलनाडु मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि इसमें कमी लाने के लिए सभी के सहयोग की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोल-डीजल की बजाय पर्यावरण के अनुकूल दूसरे वैकल्पिक सस्ते ऊर्जा के माध्यमों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है और सरकार की प्रतिबद्धता है कि आने वाले वर्षों में भारत को पेट्रोलियम पदार्थों का आयात करने की बजाय ऊर्जा का निर्यात करने वाला देश बनाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार यात्री परिवहन के लिए रोप वे और केबल कार को बढ़ावा दे रही है। राजमार्गों के दोनों तरफ आर्थिक गतिविधियों, रोजगार और राजस्व को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। कई सांसदों द्वारा टोल की संख्या का मुद्दा उठाने का जवाब देते हुए गडकरी ने यह वादा किया कि मंत्रालय अगले तीन महीने में यह सुनिश्चित करेगा कि 60 किलोमीटर की दूरी के अंदर एक ही टोल नाका हो। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राजमार्गों में हर निश्चित दूरी के बाद दुर्घटना में घायल लोगों के लिए आपातकालीन इलाज, वातानुकूलित कक्ष में आराम की सुविधा, महिलाओं के लिए विशेष शौचालय और शिशु देखभाल केंद्र भी बनाए जा रहे हैं। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा करने के लिए सदन में 4 घंटे का समय रखा गया था, लेकिन सदस्यों की भागीदारी की वजह से इस पर 11 घंटे से भी अधिक समय तक चर्चा हुई और कुल मिलाकर 116 सांसद इसमें शामिल हुए। जिसमें से 76 सांसदों ने इस पर भाषण भी दिया। चर्चा के बाद लोक सभा ने ध्वनिमत से अनुदान की इन मांगों को पारित कर दिया।