युद्धपोत निर्माण में स्वदेशी सामग्री बढ़ाना भारत की प्रगति में योगदान देगा: केंद्रीय रक्षा सचिव
नई दिल्ली(आईएएनएस)। भारत अपने युद्धपोतों के निर्माण में स्वदेशी सामग्री और तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है। केंद्रीय रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने का कहना है कि युद्धपोत निर्माण में स्वदेशी सामग्री बढ़ाना अंतत: देश की प्रगति में योगदान देगा। रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सभी डीपीएसयू को सभी प्रयास करने चाहिए। रक्षा सचिव ने मानव संसाधन की भूमिका और समसामयिक मानव संसाधन नीतियों को सुनिश्चित करने के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कर्मचारियों को केवल संतुष्ट ही नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए। कर्मचारियों को विश्वास होना चाहिए कि वे और भी अधिक योगदान कर सकते हैं। गिरिधर अरमाने ने 1774 में एमडीएल की स्थापना के बाद से उसके 250 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारतीय डाक सेवाओं द्वारा जारी अनुकूलित कॉर्पोरेट एमडीएल टिकटों का भी अनावरण किया।
उन्होंने जनहित प्रकटीकरण और मुखबिरों की सुरक्षा (पीआईडीपीआई) के विभिन्न पहलुओं पर एक पुस्तिका भी जारी की, जिसे आगामी सतर्कता जागरूकता सप्ताह के लिए एमडीएल के सतर्कता विभाग ने तैयार किया है। रक्षा सचिव ने शिपयार्ड की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने वाली एमडीएल की हेरिटेज गैलरी 'धरोहर' का भी दौरा किया। फिर उन्हें पनडुब्बी कार्यशालाओं, नए पनडुब्बी अनुभाग असेंबली कार्यशाला और निर्माणाधीन युद्धपोत और पनडुब्बी सहित यार्ड सुविधाओं के आसपास घुमाया गया। 'स्वच्छता ही सेवा' समारोहों के अंतर्गत, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई का दौरा किया। इसी दौरान उन्होंने यह वक्तव्य दिए। उन्होंने एमडीएल के एक सुरक्षा परिसर का उद्घाटन किया और अधिकारियों की परेशानियों का समाधान निकालते हुए उनके साथ एक संवादमूलक सत्र में भाग लिया। अपने संबोधन में, रक्षा सचिव ने राष्ट्र निर्माण में स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वच्छता का मतलब सिर्फ आसपास की सफाई करना नहीं है, बल्कि यह सभी प्रकार के भ्रष्टाचार- नैतिक, वित्तीय और बौद्धिक- से मुक्त होने पर भी केंद्रित है।