लंपी स्किन डिजीज के प्रकोप को देखते हुए हरियाणा के कई जिलों में धारा 144 लागू
गुरुग्राम न्यूज़: हरियाणा के कुछ जिलों में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) के प्रकोप को देखते हुए गुरुग्राम जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत गुरुग्राम के अधिकार क्षेत्र के भीतर मवेशियों के अंतर्राज्यीय और अंतर-जिला आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार हरियाणा के कई जिलों और पड़ोसी राज्यों पंजाब और राजस्थान में मवेशियों में एलएसडी का प्रकोप है। जानवरों में बीमारी के प्रसार को रोकने, नियंत्रित करने और रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 के तहत दिशा-निर्देश जरूरी हैं। लंपी बीमारी की रोकथाम के लिए झज्जर, करनाल, चरखी दादरी और जींद में धारा 144 लागू कर दी गई है। झज्जर के जिलाधीश शक्ति सिंह ने जिले में दूसरे जिलों और राज्यों से गाय, भैंस और पशुधन आदि आवागमन पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। हरियाणा प्रदेश में गाय, भैंस पशुओं आदि में कुछ जिलों में लंपी स्किन डिजीज संक्रामक बीमारी का प्रकोप देखा गया है। जिसमें गाय, भैंस पशुओं आदि की देखभाल व सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
हरियाणा में लंपी स्किन बीमारी से आठ जिले यमुनानगर, अंबाला, करनाल, सिरसा, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, कैथल और पंचकूला सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। अभी तक 2419 गांवों में 30 हजार 225 पशु संक्रमित हुए हैं। इनमें से 16 हजार 939 पशु स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 211 की मृत्यु हुई है। वर्तमान में 13 हजार 265 एक्टिव केस हैं। प्रदेश में 19 लाख 32 हजार पशुधन हैं जिनका टीकाकरण किया जाएगा। जहां संक्रमित पशु की सूचना मिलती है, सबसे पहले उस स्थान के आसपास के क्षेत्र में रिंग-वैक्सीनेशन अवधारणा के अनुरूप वैक्सीनेशन किया जाएगा और तीन एमएल डोज पशुओं को लगाई जाएगी। इसके अलावा अन्य गांवों या क्षेत्र में एक एमएल की डोज लगाई जाएगी। संक्रामक बीमारीके लक्षण गाय, भैंस पशुओं आदि मेंं फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उक्त बिमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने आवश्यक हैं।
क्या है लंपी वायरस ?
लंपी त्वचा रोग एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों की वजह से फैल सकती है। मवेशियों के एक दूसरे के संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के जरिए भी ये दूसरे जानवरों में फैल सकती है। ये बीमारी बेहद घातक है और इससे जानवर की मौत भी हो सकती हैं। वहीं इस बीमारी के फिलहाल इंसानों में फैलने का कोई भी मामला सामने आया है।
उबालकर पी सकते दूध: मुख्य सचिव ने टीकाकरण में तेजी लाने का निर्देश देते हुए कहा कि पशुपालन विभाग तुरंत प्रभाव से एडवाइजरी जारी कर लोगों को बताए कि लंपी स्किन बीमारी से संक्रमित गायों का दूध भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बशर्ते दूध को हमेशा उबालकर ही इस्तेमाल करें। मरे हुए पशुओं को आठ से 10 फीट का गड्ढा खोद कर दबाएं। किसी भी स्थिति में ऐसे पशुओं के शव को खुले में न छोड़ें। इतना ही नहीं, अगर किसी भी पशु की मृत्यु होती है तो एहतियातन ऐसे पशुओं के शवों का निस्तारण भी इसी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाए।
सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया: पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अफ्रीका में इस बीमारी के शुरुआती केस सामने आए थे, फिर इसने पाकिस्तान को अपना निशाना बनाया और फिर भारत में इसके केस दिखाई पड़े। जेटली ने कहा कि यह बीमारी मुख्य रूप से गायों, विशेषकर देसी नस्ल वाली गायों को प्रभावित कर रही है और अब तक करीब 25 हजार गोवंश प्रभावित हुए हैं।