मामले में एक जमानत याचिका खारिज, यौनकर्मी नहीं कर सकते विशेष रियायत का दावा

Update: 2022-08-09 11:10 GMT

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक यौनकर्मी एक नागरिक के लिए उपलब्ध सभी अधिकारों का हकदार है, लेकिन साथ ही यदि वह कानून का उल्लंघन करती है तो उसे कानून के तहत समान परिणाम भुगतने होंगे और वह किसी विशेष उपचार का दावा नहीं कर सकती है। अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ता एक वेश्यालय चलाती है और जहां से 13 नाबालिग लड़कियों को छुड़वाया गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यद्यपि एक यौनकर्मी उन सभी अधिकारों की हकदार हैं जो एक नागरिक को उपलब्ध हैं, लेकिन अगर वह कानून का उल्लंघन करती है तो वह विशेष रियायत का दावा नहीं कर सकती है। अदालत ने एक यौनकर्मी की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। उस पर नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने अपने फैसले में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक यौनकर्मी एक नागरिक के लिए उपलब्ध सभी अधिकारों का हकदार है, लेकिन साथ ही यदि वह कानून का उल्लंघन करती है तो उसे कानून के तहत समान परिणाम भुगतने होंगे और वह किसी विशेष उपचार का दावा नहीं कर सकती है। अभियोजन पक्ष के अनुसार याचिकाकर्ता एक वेश्यालय चलाती है और जहां से 13 नाबालिग लड़कियों को छुड़वाया गया था।

याचिकाकर्ता ने अपनी मां के घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के आधार पर एक सप्ताह की अंतरिम जमानत मांगी थी। पुलिस ने अंतरिम जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि अगर जमानत दी जाती है तो मुकदमे को नुकसान होगा। याचिकाकर्ता एक यौनकर्मी होने के नाते रिहा होने पर उसी गतिविधि में शामिल होगी। इसके अलावा यदि याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह अभियोक्ता को प्रभावित करने की कोशिश करेगी। याचिकाकर्ता ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वह नाबालिगों की तस्करी के लिए जिम्मेदार नहीं है। उसके खिलाफ ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया कि उसने नाबालिगों को भागने से रोका। इसके अलावा एक लड़की को छोड़कर अन्य सभी ने पुलिस को बताया था कि वे अपनी मर्जी से वेश्यालय में हैं।


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