'बिना बिल के दिल' कार्डिएक रिसर्च के लिए काम करेंगे आईआईटी और सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| 'बिना बिल के दिल' आईआईटी की ओर से यह एक नई पहल की गई है। इस नई पहल के अंतर्गत कार्डिएक रिसर्च के लिए आईआईटी और श्री सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल साथ काम करेंगे। आईआईटी गुवाहाटी विश्व स्तरीय सस्ती चिकित्सा सुविधाओं को विकसित करने पर काम कर रहा है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए आईआईटी ने श्री सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल, अहमदाबाद और राजकोट के साथ एक समझौता किया है।
समझौता की मुख्य बातों में, जन्मजात हृदय रोगों से संबंधित समग्र डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र के सुधार के लिए संयुक्त रूप से काम करना, सरकार के सहयोग से आईआईटी गुवाहाटी में एक उच्च अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करना, देश के उत्तर-पूर्व भाग में हृदय रोगियों के लाभ के लिए डिजिटल परिवर्तन, उन्नयन और सूचना साझा करने पर संयुक्त रूप से काम करना शामिल है।
आईआईटी गुवाहाटी के कार्यवाहक निदेशक, प्रो. परमेश्वर के. अय्यर ने कहा, आईआईटी गुवाहाटी एक बहु-विशेषता से जुड़ा अस्पताल स्थापित करेगा। संसथान पहले से ही कार्डिएक, कैंसर और बाल चिकित्सा देखभाल से संबंधित अनुसंधान एवं विकास और डेटा संग्रह पर काम करना शुरू कर चुका है।
कार्यक्रम के दौरान असम के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कहा, मुझे यकीन है कि इस सहयोग से न केवल असम में हृदय रोगियों को लाभ होगा, बल्कि देश के अन्य राज्यों के बीच जानकारी साझा करने का भविष्य का परिप्रेक्ष्य भी तैयार होगा। चिकित्सा क्षेत्र में अनुसंधान एक निरंतर आवश्यकता है।
'बिना बिल के दिल' पहल के बारे में बोलते हुए, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एम आर शाह ने कहा, बिना बिल के दिल एक अनूठी अवधारणा है और मुझे खुशी है कि आईआईटी गुवाहाटी अब इस नेक पहल का हिस्सा है। प्रौद्योगिकी की उन्नति ने दुनिया को विशेष रूप से ज्ञान और सूचना साझा करने के क्षेत्र में करीब लाया है। इस प्रयास के लिए सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं।
--आईएएनएस