अतिक्रमण हुआ तो अफसरों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होगी: नोएडा प्राधिकरण
नोएडा: सरकारी जमीन पर हो रखे अतिक्रमण के खिलाफ अब नोएडा प्राधिकरण सख्ती बरतेगा. अवैध निर्माण तो ध्वस्त होगा ही, साथ ही इसके लिए जिम्मेदार सिविल और भूलेख विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए खिलाफ भी कार्रवाई होगी. इस संबंध में नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने निर्देश जारी कर दिए हैं.
नोएडा करीब 16200 हेक्टेयर में बसा हुआ है. इसमें से करीब शहर के आंतरिक हिस्से में करीब तीन हजार हेक्टेयर सरकारी जमीन पर कब्जा है. ग्रीन बेल्ट पर इमारतें खड़ी हो गई हैं. इनमें सेक्टर और गांवों के बीच की बेशकीमत जमीन भी शामिल है, जो अरबों रुपये की है. शहर में सरकारी जमीन लगातार घिरती जा रही है. कब्जा करने वाले लोग शुरुआत में झुग्गी-झोपड़ी डालकर अतिक्रमण की शुरुआत करते हैं. झुग्गियों के जरिए कब्जाधारी लाखों रुपये किराए के रूप में कमा रहे हैं. कुछ समय बाद वहां पर बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं.
पिछले सात-आठ सालों में काफी तेजी से सरकारी जमीनों पर कब्जा हुआ है. प्राधिकरण की जमीन पर होते कब्जे की वजह से योजनाएं लाने के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में अब नोएडा प्राधिकरण सख्ती बरतने जा रहा है. अतिक्रमण को हटाने के लिए प्राधिकरण ने योजना बनानी शुरू कर दी है. जमीन पर हो रखे अतिक्रमण को अलग-अलग चरण में हटाया जाएगा, जबकि नया अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा. इसके लिए नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने निर्देश जारी कर दिए हैं.
जानकारों ने बताया कि सरकारी जमीन पर सफार्बाद, गढ़ी चौखंडी, छिजारसी, ममूरा, बरौला, भंगेल, सलारपुर, चौड़ा, गिझौड़, हरौला, नयाबांस, बख्तावरपुर, नंगली-वाजितपुर, आदि गांवों में बड़ी संख्या में कब्जे हो रहे हैं. मुआवजा उठा चुके लोगों ने जमीन कब्जा रखी है.
सीएजी कह चुकी, एक खरब, 63 अरब की जमीन पर कब्जा सीएजी ने भी वर्ष 2021 तक नोएडा में सरकारी जमीन पर हो रखे कब्जे की जांच की थी. सीएजी रिपोर्ट के तहत ही नोएडा में 45 लाख 26 हजार 464 वर्ग मीटर जमीन पर अतिक्रमण है. इसकी अनुमानित कीमत एक खरब, 63 अरब 85 करोड़ 79 लाख 96 हजार आठ सौ रुपये है. खास बात यह है कि सीएजी की यह कब्जे की रिपोर्ट अधिकारियों के सर्वे पर कागजी रिकॉर्ड के तौर पर है, जबकि धरातल पर इससे कहीं ज्यादा जमीन पर कब्जा है. ऐसे में प्राधिकरण अधिकारियों के पास भी सटीक सूचना नहीं है कि आखिर कितनी जमीन पर कब्जा है.