विक्टिम कार्ड से आम आदमी पार्टी को कितना होगा फायदा

Update: 2022-08-23 10:56 GMT

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

AAP Vs BJP: अरविंद केजरीवाल के काम करने की स्टाइल बहुत हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेल खाती है। जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात मॉडल से खुद को राजनीतिक तौर पर प्रोजेक्ट किया, उसी प्रकार अरविंद केजरीवाल दिल्ली मॉडल को हर चुनाव में बेचने की कोशिश कर रहे हैं...

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ईडी की हिरासत में हैं, तो सरकार के दूसरे प्रमुख मंत्री मनीष सिसोदिया के किसी भी समय गिरफ्तार होने की आशंका जताई जा रही है। भाजपा नेता आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी के असली 'मास्टर माइंड' अरविंद केजरीवाल हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि देर-सबेर अरविंद केजरीवाल भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। इसे लगभग उसी तरह का 'एक्शन रिप्ले' बताया जा रहा है जैसा कि नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए हुआ था।

तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सबसे भरोसेमंद साथी अमित शाह को केंद्रीय जांच एजेंसियों के सामने कड़ी जांच से गुजरना पड़ रहा था। मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी से आठ-आठ घंटे की कड़ी पूछताछ की गई, तो अमित शाह को जेल तक जाना पड़ा था। उस समय भाजपा यह आरोप लगा रही थी कि उसके नेताओं को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है और यह उनकी बढ़ती लोकप्रियता को रोकने की कोशिश है। यही आरोप इस समय आम आदमी पार्टी लगा रही है।

फिलहाल, तमाम राजनीतिक झंझावातों से गुजरते हुए नरेंद्र मोदी 2014 में देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचे और तब से अब तक वे देश की जनता की पहली पसंद बने हुए हैं। उनके भरोसेमंद साथी अमित शाह भी न केवल पार्टी अध्यक्ष के सबसे ऊंचे पद पर पहुंचे, बल्कि देश के गृहमंत्री बनकर कई एतिहासिक कार्यों को अपने परिणाम तक पहुंचा चुके हैं। कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा की गई कार्रवाई ने उन्हें ज्यादा लोकप्रिय बनाया और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की। क्या अरविंद केजरीवाल भी विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं और क्या उनकी पार्टी इस स्थिति का लाभ उठा सकेगी?

'मोदी की नकल करते हैं केजरीवाल'

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल के काम करने की स्टाइल बहुत हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेल खाती है। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात को एक मॉडल बनाकर अपने को राजनीतिक तौर पर प्रोजेक्ट किया, उसी प्रकार अरविंद केजरीवाल दिल्ली मॉडल को हर चुनाव में बेचने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ही नेताओं पर आरोप हैं कि उन्होंने राजनीति में स्वयं को आगे बढ़ाने के लिए अपनी ही पार्टी के कई नेताओं को किनारे लगा दिया। दोनों ही नेताओं की अपनी-अपनी पार्टी में स्थिति सर्वोपरि है और उनके द्वारा कही गई कोई बात पार्टी का दृष्टिकोण मानी जाती है।

जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवाद को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाए हुए हैं, उसी तरह अरविंद केजरीवाल भी हर बात पर राष्ट्रवाद को भुनाने की कोशिश करते हुए दिखाई पड़ते हैं। वे भारत के पहले नेता हैं जो एक राज्य का मुख्यमंत्री होते हुए भी पूरे भारत को दुनिया में नंबर एक बनाने के लिए प्लान लॉन्च करते हुए दिखाई देते हैं। भाजपा और नरेंद्र मोदी की तरह वे तिरंगा फहराने या हिंदुत्व के मुद्दे पर हर जगह लीड लेने की कोशिश करते हैं।

क्या काम आएगा विक्टिम कार्ड?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अपने नेताओं की गिरफ्तारी को भी जिस तरह अरविंद केजरीवाल हाईलाइट कर रहे हैं, यह पार्टी की विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश है। इस तरह वे राष्ट्रीय मीडिया का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं और गुजरात-हिमाचल प्रदेश में पार्टी का चुनावी अभियान आगे बढ़ा रहे हैं। मनीष सिसोदिया को अब उन्होंने गुजरात चुनावी अभियान के केंद्र में ला दिया है और अरविंद केजरीवाल अब मनीष सिसोदिया के साथ गुजरात में बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। क्या पार्टी की यह रणनीति गुजरात में पार्टी को आगे बढ़ाने में काम आएगी?

दोनों दलों की राजनीतिक ताकत अलग-अलग

हमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि जब नरेंद्र मोदी या अमित शाह पर केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई कर रही थीं, उस समय भी भाजपा एक बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुकी थी। उसके पास लाखों कार्यकर्ता थे जो बार-बार अपने नेता पर हुई कार्रवाई को गलत बता रहे थे। पार्टी के केंद्रीय नेता भी अपनी राज्य इकाई के साथ खुलकर खड़े थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रूप में भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को एक बड़ी ताकत का साथ मिला हुआ था।

जबकि अरविंद केजरीवाल इस मामले में अकेले हैं। उनके पास भाजपा की तुलना में कार्यकर्ताओं की एक बहुत छोटी टीम है। उनके पास राष्ट्रीय स्तर के ऐसे नेताओं का भी अभाव है, जो राष्ट्रीय स्तर पर उनका बचाव कर सकें। यदि भ्रष्टाचार के मामलों में अदालत को ठोस साक्ष्य मिलते हैं और उनके नेताओं पर कार्रवाई होती है, तो पार्टी के लिए यह नकारात्मक मोड़ साबित हो सकता है। फिलहाल, अरविंद केजरीवाल दिल्ली और पंजाब की राज्य इकाइयों के बूते भाजपा को टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार पर मोदी की विश्वसनीयता

भाजपा नेता सुदेश वर्मा ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरविंद केजरीवाल से कोई तुलना नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आज तक भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे हैं, जबकि सत्येंद्र जैन-मनीष सिसोदिया पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप सीधे अरविंद केजरीवाल को कटघरे में खड़ा करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी पर आज तक अपने परिवार को गलत लाभ पहुंचाने का कोई आरोप नहीं है, जबकि अरविंद केजरीवाल अपने व्यक्तिगत लाभ के साथ-साथ अपने लोगों तक अनुचित लाभ पहुंचाते हुए देखे जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का यह आरोप सिरे से गलत है कि उसके नेताओं पर किसी राजनीतिक उद्देश्य से हमला किया जा रहा है। सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के समय से लेकर लाल किला से प्रधानमंत्री के रूप में बोलते हुए बार-बार भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने की बात करते रहे हैं। उन्होंने लगातार भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी नेताओं नेताओं के द्वारा भारी मात्रा में अवैध लेनदेन प्रमाणित हो रहा है और ऐसे भ्रष्टाचार को केवल राजनीतिक हमला कहकर बचाव नहीं किया जा सकता।

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