दिल्ली दंगे की साजिश रचने के मामले में आरोपित गुलफिशा फातिमा की जमानत अर्जी पर पक्ष रखते हुए अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कड़कड़डूमा कोर्ट में कहा कि पुलिस द्वारा प्रस्तुत वाट्सएप चैट साक्ष्य अधिनियम के तहत मान्य नहीं है। साथ ही आरोप लगाया कि पुलिस ने आरोपपत्र में गोपनीय गवाह का नाम कई जगह उजागर कर दिया है, जोकि कानून का उल्लंघन है। वहीं इस मामले में आरोपित उमर खालिद की जमानत अर्जी पर सुनवाई टल गई है।