दिल्ली न्यूज़: भूमि के मामले में भ्रष्टाचार की संभावना को खत्म करने और राजधानी के ग्रामीण व शहरी गांवों में संपत्तियों के पंजीकरण में देरी से बचने के लिए दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने भूमि अभिलेखों को एक केंद्रीय सर्वर पर लाने और उन्हें आसानी से सुलभ बनाने का निर्णय लिया है। हाल ही में भारत सरकार की भूमि को निजी लोगों को देने के बाद यह कदम उठाया गया है। अभी भूमि रिकार्ड डिजिटल है, लेकिन भूमि संबंधी मुद्दों से निपटने के दौरान किसी भी अधिकारी के उपयोग के लिए जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि अब सभी सरकारी भूमि, ग्रामसभा, खाली या कब्जा में ली गई भूमि का विवरण केंद्रीय सर्वर पर अपलोड किया जाएगा। यह सब रजिस्ट्रारों को यह निर्धारित करने में मदद करेगा की रजिस्ट्री के लिए उनके पास जो भूमि आई है, उसके स्वामित्व की एक उचित श्रृंखला है। इससे साफ होगा कि पंचायत भूमि, ग्रामसभा भूमि या पहले से ही सरकारी एजेंसी द्वारा अधिग्रहीत जमीन तो नहीं है। हाल ही में सामने आए उत्तरी दिल्ली में अलीपुर सब डिवीजन के झंगोला गांव में सरकारी भूमि घोटाले में सरकारी अधिकारियों ने कथित तौर पर पिछले सात वर्षों में निजी संस्थाओं के नाम पर 500 करोड़ रुपए से अधिक की खाली सरकारी भूमि को स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी। राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि घोटाला संभव नहीं होता, अगर जमीन के रिकार्ड एक माउस के क्लिक पर ऑनलाइन उपलब्ध होते। भूमि की रजिस्ट्री से पहले सब रजिस्ट्रारों को भूमि की स्थिति पर विभिन्न कार्यालयों से कुछ एनओसी की आवश्यकता होती है, जिसमें समय लगता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश बढ़ जाती है। लेकिन अब सब रजिस्ट्रारों को एनओसी के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा और वे अपने कंप्यूटर पर जमीन की स्थिति की जांच कर सकेंगे। अधिकारियों के अनुसार 1921 में दिल्ली में 314 गांव थे, प्रत्येक जनगणना के साथ संख्या में कमी आती रही। 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली में गांवों की संख्या 118 के करीब है। इन गांवों में पंचायत या ग्राम सभा और सरकार के स्वामित्व वाले कई भूखंड हैं। अधिकारियों ने कहा कि शहर भर में फैली ऐसी संपत्तियों की संख्या 700 के करीब है, जो सीधे भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।