दिल्ली न्यूज़: सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के बीमा ट्रेड यूनियनों और संघों के संयुक्त मोर्चा ने एक अगस्त, 2017 से देय वेतन वृद्धि को एलआईसी को दी गई वेतन वृद्धि के बराबर रखने की मांग के विपरीत जीआईपीएसए द्वारा 12 प्रतिशत वेतन वृद्धि के अंतिम प्रस्ताव पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारियों की वेतन वृद्धि में सुधार के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक पत्र लिखा है । जनरल इंश्योरेंस इम्पलाइज आल इंडिया एसोसिएशन के महासचिव त्रिलोक सिंह ने बताया कि जीआईपीएसए इस कदम के विरोध में 13 सितम्बर को भोजनावकाश में पूरे देश में प्रदर्शन करेगी। हमारी मांगों में प्रमुख है कि एलआईसी की तुलना में साधारण बीमा कर्मियों को वेतन वृद्धि प्रस्ताव में असमानता और अन्याय, एनपीएस अंशदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत और परिवार पेंशन को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने में अनावश्यक विलम्ब, एलआईसी मुख्य प्रदर्शन संकेतक (केपीआई) की नीति को यूनियन से बिना वार्ता एकतरफा थोपना और पुनर्गठन के नाम पर बड़ी संख्या में कार्यालयों को बंद, विलय करने का मनमाना निर्णय सभी स्तर पर सरकारी साधारण बीमा कंपनियों को गंभीर रूप से प्रभावित व कमजोर कर रहा है।
उन्होने कहा, सरकारी साधारण बीमा कंपनियां पहले से ही भारत सरकार को लाभांश के रूप में हजारों करोड़ दे रही हैं, सामाजिक उत्थान की सभी सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं। कोरोना में कर्मचारियों ने अर्थव्यवस्था और समाज को कोरोना योद्धाओं के रूप में सेवा दी है और इस दौरान करीब 500 कर्मचारियों ने अपनी जान गवां दी। इसलिए हम साधारण बीमा उद्मोग के सबसे बड़े संगठन के रूप में जनरल इंश्योरेंस इम्पलाइज आल इंडिया एसोसिएशन मांग करती हैं कि सार्वजनिक साधारण बीमा की सभी कंपनियों का विलय कर एक निगम की स्थापना की जाए। भारत सरकार ए सरकारी साधारण बीमा कंपनियों को हर स्तर पर समान अवसर प्रदान करे। निजी साधारण बीमा कंपनियों और टीपीए में भी सीएजी ऑडिट का प्रावधान हो व सरकार की सभी सामाजिक योजनाओं को लागू करने का निर्देश दिए जाएं। भारत सरकार ग्राहकों और नागरिकों के व्यापक हित में सरकारी साधारण बीमा कंपनियों को व्यापक स्वायत्तता दे।