Ghaziabad: साइबर ठगों ने साइबर ठगी के करोड़ों रुपये विदेश ट्रांसफर किए

साइबर टीम उन बैंक खातों की जांच कर रही है

Update: 2024-12-11 07:11 GMT

गाजियाबाद: जिले में पिछले नौ माह के अंतराल में साइबर ठगों ने अलग-अलग तरीकों से करीब 375 करोड़ रुपये की ठगी की है। साइबर टीम उन बैंक खातों की जांच कर रही है, जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए हैं।

अलग-अलग राज्यों, जनपदों और शहरों में स्थित बैंक शाखाओं में ट्रांसफर की गई धनराशि एटीएम से निकाल ली गई हैं या फिर अन्य खातों में ट्रांसफर की गई है। एडीसीपी अपराध सच्चिदानंद ने बताया कि 69 बैंक खाते हैं जिनसे ठगी की धनराशि विदेशी बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है। इनमें सर्वाधिक लेन-देन कंबोडिया, दुबई और वियतनाम में हुई हैं। हालांकि इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आईपी) का पता नहीं चलने के कारण ठगों की शिनाख्त नहीं हो पा रही है।जिले में 800 से अधिक लोगों को साइबर ठगों ने निशाना बनाया है। अलग-अलग थानों में पांच लाख रुपये तक की ठगी के मुकदमे दर्ज हैं। साइबर थाने में पांच लाख रुपये से ऊपर की ठगी के 345 मुकदमे दर्ज हैं। साइबर अपराधियों ने पीड़ितों से डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग, टेलीग्राम टास्क, पुलिस थ्रेड, सेक्सटॉर्सन और फोन हैक कर करीब 375 करोड़ रुपये की ठगी की है। एडीसीपी अपराध ने बताया कि जांच के दौरान पता चला है कि साइबर अपराधियों ने ट्रांसफर की गई धनराशि को 24 घंटे के भीतर एटीएम से निकाल लिया है या फिर अन्य खातों में आॅनलाइन ट्रांसफर कर दिया है।

आईपी एड्रेस बना चुनौती : डीसीपी अपराध सच्चिदानंद ने बताया कि वेबसाइट हो या मोबाइल-लैपटॉप सभी का अपना आईपी एड्रेस होता है। नोड नाम का सॉफ्टवेयर मोबाइल डिवाइस रोमिंग की सुविधा देता है। यदि उपभोक्ता देश में हैं तो होम नेटवर्क और विदेश में है तो मोबाइल नोड पूरी जानकारी संरक्षित कर इसे विदेशी नेटवर्क से जोड़ता है। इसी से सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। साइबर ठग इसे लॉक रखते हैं। जिसे बिना कंपनी की अनुमति के तोड़ा नहीं जा सकता है। इसमें स्थानीय मोबाइल कंपनी की अनुमति नहीं मिल पाती।

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