ग्रेटर नॉएडा में कूड़ा निस्तारण प्लांट का काम अगले महीने होगा शुरू

Update: 2023-03-10 11:42 GMT

नोएडा न्यूज़: नोएडा के कूड़े को ग्रेटर नोएडा के अस्तौली में निस्तारण कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके लिए 200 टन क्षमता का विंड्रोज कंपोस्टिंग प्लांट लगाया जाएगा. नोएडा प्राधिकरण ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिया है. टेंडर प्रक्रिया में अगर कंपनी का चयन हो जाता है तो अगले महीने से प्लांट बनाने का काम शुरू हो जाएगा.

अभी नोएडा के सेक्टर-145 मुबारिकपुर में कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है. अब इस साइट को बंद किया जाएगा. कूड़े का पूरा निस्तारण ग्रेनो की अस्तौली साइट पर होगा. मौके पर कूड़े से ग्रीन कोल और बायो सीएनजी बनाने के प्लांट जब तक लग कर चालू नहीं हो जाते तब तक प्राधिकरण कूड़े से खाद बनवाएगा. इसके लिए विंड्रोज कंपोस्टिंग प्लांट लगाया जाएगा. इससे कचरे का सही निस्तारण होगा.

पानी को निकालने के लिए ड्रेन बनेगा प्लांट का इंफ्रा तैयार करने के लिए टेंडर जारी हो गया है. इस प्लांट में कूड़े से निकलने वाले पानी को निकालने के लिए ड्रेन बनाया जाना है. यह इसलिए भी किया जाएगा कि कूड़ा खाद में तब्दील होने के लिए जल्दी सूखे और निकलने वाला पानी मिट्टी और नीचे भूजल को प्रदूषित न करने पाए.

प्लांट श्रमिक आधारित होगा प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि विंड्रोज कंपोस्टिंग प्लांट ज्यादा से ज्यादा श्रमिक आधारित होगा. इसमें कूड़े के ढेर की लाइनें बनाई जाती हैं फिर उन पर केमिकल का छिड़काव लगातार किया जाता है. कूड़ा हर दूसरे दिन पलटवाया जाता है. अधिकारियों ने बताया कि 6-7 दिन में इस प्रक्रिया से कूड़ा खाद में तब्दील हो जाता है. अभी अस्तौली में काफी जगह पड़ी हुई है. इसलिए ये शुरुआत प्राधिकरण करने जा रहा है. इस प्लांट की क्षमता 200 मीट्रिक टन प्रतिदिन की होगी.

एमओयू साइन हो चुका बात अगर अस्तौली में लगने वाले प्लांट की करें तो 800 मीट्रिक टन क्षमता के दो प्लांट लगने हैं, जिनके एमओयू भी प्राधिकरण ने साइन कर लिए हैं. पहला एमओयू एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड कंपनी के साथ साइन किया गया है.

इस प्लांट की क्षमता हर दिन 600 मीट्रिक टन मिक्स कचरे का निस्तारण करने की होगी. कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक पद्धति से एन्वायरमेंट फ्रेंडली तरीके से होगा. इसमें टेरीफाइड चारकोल का उत्पादन होगा. यह ग्रीन कोल कहा जाता है. दूसरा प्लांट गीले कूड़े के निस्तारण और 200 मीट्रिक टन क्षमता का होगा. इसमें कंप्रेस्ड बायो गैस तकनीक पर कूड़े का निस्तारण होगा. फिर इससे बायो सीएनजी बनाई जाएगी.

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