दिल्ली: देश के अधिकांश राज्यों में अभी टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं. इस बीच आम जनता को एक और बड़ा झटका लगने वाला है, जिससे आम आदमी की जेब और ढीली हो सकती है. इस साल मौसम के कहर ने लोगों के किचन का स्वाद बिगाड़ रखा है. टमाटर, नई दिल्ली. देश के अधिकांश राज्यों में अभी टमाटर के भाव आसमान छू रहे हैं. इस बीच आम जनता को एक और बड़ा झटका लगने वाला है, जिससे आम आदमी की जेब और ढीली हो सकती है. इस साल मौसम के कहर ने लोगों के किचन का स्वाद बिगाड़ रखा है. टमाटर, मिर्च और अदरख के भाव लगातार बढ़ते रहे हैं. हालांकि फिलहाल थोड़ी सी राहत मिलती हुई नजर आ रही है. लेकिन इस बीच सेब की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने की आशंका है. हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादक क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से पिछले साल की तुलना में इस साल सेब की कीमत कम से कम 20-25% बढ़ सकती है.
एक खरीदार ने कहा, “सेब की कीमतें पिछले हफ्ते से पहले ही बढ़ गई हैं. मैं शिमला सेब 150 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदता था, ये अब 180 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है.’ करिश्मा साल्वे ने कहा, ‘आम तौर पर बाजार में अधिक सेब आने पर कीमतें कम होने लगती हैं, लेकिन विक्रेता कह रहे हैं कि इस साल इसके दाम ऊंचे रहने की उम्मीद है. शहर में सेब की अधिकांश आपूर्ति शिमला के रोहड़ू, कुल्लू-मनाली के कुछ हिस्सों और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों से होती है. शहर के एक सेब थोक विक्रेता ने कहा, “हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के कारण बहुत सारे पेड़ उखड़ गए हैं और फल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. सेब ले जाने वाले कई टेम्पो रास्ते में फंस गए हैं, इसलिए कई फल सड़ गए हैं. इससे बाजार में आपूर्ति कम हो गई है.”
थोक बाजार में, लगभग 25-26 किलोग्राम शिमला सेब से भरा एक टोकरा, जो पिछले साल 2,800 रुपये में बिकता था, अब 3,500 रुपये में बिकता है. विनायक काची ने कहा, “मुझे यकीन है कि इस साल पिछले साल की तुलना में सेब का फ्लो कम होगा, इसलिए कीमत अधिक रहने की संभावना है. किसान पैकेज का आकार कम कर रहे हैं और सेब को खराब होने से बचाने के लिए कटाई के समय ही आपूर्ति कर रहे हैं.” उदाहरण के लिए, रॉयल गाला, सेब की एक किस्म, 25 किलो के बक्सों में आती थी. इस साल 10 किलो के रॉयल गाला बॉक्स अधिक कीमत पर उपलब्ध हैं.
कोंढवा के निवासी गिरिजा ने कहा, “मैं आम तौर पर फल ऑनलाइन खरीदता हूं. भारतीय सेब 600 ग्राम के लिए 240-250 रुपये में बिक रहा है, जबकि पहले इसी मात्रा के लिए यह 180-200 रुपये था. फलों की कम उपलब्धता के कारण केले की कीमत भी बढ़ गई है. त्योहारी सीजन की शुरुआत में, अगर कीमतें बढ़ गईं तो यह मुश्किल हो जाएगा. हिमाचल में किसानों से सेब खरीदने वाले थोक विक्रेताओं ने कहा कि परिवहन दरों में काफी वृद्धि हुई है.
मार्केट में पूना फ्रूट्स सप्लायर चलाने वाले इस्माइल चौधरी कहते हैं, “कारोबार सुस्त है क्योंकि बहुत से लोग बड़ी मात्रा में सेब नहीं खरीद रहे हैंय हिमाचल प्रदेश में सड़क बंद होने और खराब मौसम की स्थिति के कारण परिवहन लागत 20-25 रुपये प्रति पेटी बढ़ गई है.” भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने हिमाचल प्रदेश में सेब के बगीचों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है, उत्पादकों को फंगल रोग के फैलने की चिंता है क्योंकि फसल का मौसम चल रहा है. असामान्य रूप से गर्म सर्दियों और अचानक बारिश ने भी सेब के उत्पादन को प्रभावित किया है.मिर्च और अदरख के भाव लगातार बढ़ते रहे हैं. हालांकि फिलहाल थोड़ी सी राहत मिलती हुई नजर आ रही है. लेकिन इस बीच सेब की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने की आशंका है. हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादक क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से पिछले साल की तुलना में इस साल सेब की कीमत कम से कम 20-25% बढ़ सकती है.
एक खरीदार ने कहा, “सेब की कीमतें पिछले हफ्ते से पहले ही बढ़ गई हैं. मैं शिमला सेब 150 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदता था, ये अब 180 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है.’ करिश्मा साल्वे ने कहा, ‘आम तौर पर बाजार में अधिक सेब आने पर कीमतें कम होने लगती हैं, लेकिन विक्रेता कह रहे हैं कि इस साल इसके दाम ऊंचे रहने की उम्मीद है. शहर में सेब की अधिकांश आपूर्ति शिमला के रोहड़ू, कुल्लू-मनाली के कुछ हिस्सों और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों से होती है. शहर के एक सेब थोक विक्रेता ने कहा, “हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के कारण बहुत सारे पेड़ उखड़ गए हैं और फल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. सेब ले जाने वाले कई टेम्पो रास्ते में फंस गए हैं, इसलिए कई फल सड़ गए हैं. इससे बाजार में आपूर्ति कम हो गई है.”
थोक बाजार में, लगभग 25-26 किलोग्राम शिमला सेब से भरा एक टोकरा, जो पिछले साल 2,800 रुपये में बिकता था, अब 3,500 रुपये में बिकता है. विनायक काची ने कहा, “मुझे यकीन है कि इस साल पिछले साल की तुलना में सेब का फ्लो कम होगा, इसलिए कीमत अधिक रहने की संभावना है. किसान पैकेज का आकार कम कर रहे हैं और सेब को खराब होने से बचाने के लिए कटाई के समय ही आपूर्ति कर रहे हैं.” उदाहरण के लिए, रॉयल गाला, सेब की एक किस्म, 25 किलो के बक्सों में आती थी. इस साल 10 किलो के रॉयल गाला बॉक्स अधिक कीमत पर उपलब्ध हैं.
कोंढवा के निवासी गिरिजा ने कहा, “मैं आम तौर पर फल ऑनलाइन खरीदता हूं. भारतीय सेब 600 ग्राम के लिए 240-250 रुपये में बिक रहा है, जबकि पहले इसी मात्रा के लिए यह 180-200 रुपये था. फलों की कम उपलब्धता के कारण केले की कीमत भी बढ़ गई है. त्योहारी सीजन की शुरुआत में, अगर कीमतें बढ़ गईं तो यह मुश्किल हो जाएगा. हिमाचल में किसानों से सेब खरीदने वाले थोक विक्रेताओं ने कहा कि परिवहन दरों में काफी वृद्धि हुई है.
मार्केट में पूना फ्रूट्स सप्लायर चलाने वाले इस्माइल चौधरी कहते हैं, “कारोबार सुस्त है क्योंकि बहुत से लोग बड़ी मात्रा में सेब नहीं खरीद रहे हैंय हिमाचल प्रदेश में सड़क बंद होने और खराब मौसम की स्थिति के कारण परिवहन लागत 20-25 रुपये प्रति पेटी बढ़ गई है.” भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने हिमाचल प्रदेश में सेब के बगीचों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है, उत्पादकों को फंगल रोग के फैलने की चिंता है क्योंकि फसल का मौसम चल रहा है. असामान्य रूप से गर्म सर्दियों और अचानक बारिश ने भी सेब के उत्पादन को प्रभावित किया है.