दिल्ली न्यूज: विवादास्पद विद्युत संशोधन विधेयक 2022 पर गुरुवार को चर्चा के लिए ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति की पहली बैठक हुई। जिसमें विपक्षी सांसदों ने विरोध किया और बिल को संसद भेजने से पहले इसके विभिन्न प्रावधानों पर राज्यों के साथ चर्चा की मांग की है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पैनल को विधेयक पर चर्चा करने और उस पर एक रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन महीने का समय दिया है। जिस वजह से आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पेश किए जाने की संभावना नहीं है।सूत्रों ने कहा कि बिल पर चर्चा में तेजी लाने के लिए पैनल के शीतकालीन सत्र के दौरान नियमित रूप से मिलने की उम्मीद है। ताकि जनवरी के अंत तक बजट सत्र शुरू होने तक इस पर रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा सके।
सूत्रों का कहना है कि बैठक में कुल 14 सांसदों ने भाग लिया, जिसमें 9 सांसद विपक्ष के थे। विपक्षी सासंदों ने राज्य बिजली बोडरें और बिजली विभागों के साथ बिल पर चर्चा की मांग की। बैठक के दौरान विपक्षी सांसदों ने विधेयक के विभिन्न प्रावधानों का विरोध किया, जिसमें उन्होंने राज्यों के अधिकारों को हड़पने का आरोप लगाया। सूत्रों ने बताया कि स्थायी समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने सदस्यों से कहा कि इससे पहले साल 2014 में लोकसभा में बिजली संशोधन विधेयक पेश किया गया था, लेकिन पारित नहीं हो सका था। इसलिए इस पर सार्थक चर्चा की कोशिश की जानी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को हुई बैठक में बिजली सचिव आलोक कुमार और मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
रिपोर्ट के अनुसार, बिल लाइसेंस प्राप्त करने वाली किसी भी संस्था द्वारा वितरण नेटवर्क के उपयोग को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करता है। यह उपभोक्ताओं को किसी विशेष क्षेत्र में काम करने वाले कई प्लेयर्स में से किसी भी बिजली आपूर्तिकर्ता की सेवाओं को चुनने की अनुमति देगा, ठीक वैसे ही जैसे ग्राहकों के पास मोबाइल नेटवर्क चुनने का विकल्प होता है।