वित्त मंत्रालय: सरकार अप्रैल से सितंबर के बीच बाजार से जुटाएगी 8.45 लाख करोड़ रुपये

महामारी के बाद अर्थव्यवस्था (Economy) को वापस पटरी पर लाने के लिये।

Update: 2022-03-31 17:53 GMT

महामारी के बाद अर्थव्यवस्था (Economy) को वापस पटरी पर लाने के लिये। जरूरी खर्च और आय में अंतर को खत्म करने के लिये सरकार बजट योजना के अनुसार कर्ज (debt) के जरिये उठाई जाने वाली रकम का आधे से ज्यादा हिस्सा वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में जुटाएगी, वित्त मंत्रालय (finance Ministry) ने आज इसकी जानकारी दी है. मंत्रालय के अनुसार सरकार अप्रैल से सितंबर की अवधि में बाजार से 8.45 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी. वित्त वर्ष 2022-23 के लिये बाजार से कुल 14.31 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाने की योजना है. वहीं रिजर्व बैंक ने एक अन्य रिलीज के जरिये जानकारी दी है कि दिसंबर तिमाही में देश का करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़कर जीडीपी के 2.7 प्रतिशत पर पहुंच गया है.


पहले 6 महीने में पूरे साल का 56 प्रतिशत जुटाएगी सरकार
सरकार नये वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में पूरे साल के 56 प्रतिशत रकम जुटाने की योजना बना रही है. वित्त मंत्रालय के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बाजार से रकम जुटाने की पूरी प्रक्रिया 26 हफ्तों में पूरी होगी और हर हफ्ते बाजार से 32 से 33 हजार करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. इस रकम का 6.15 प्रतिशत 2 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड के जरिये, 13.85 प्रतिशत 5 साल के बॉन्ड के जरिये, 10.77 प्रतिशत 7 साल के बॉन्ड के जरिये, 20 प्रतिशत 10 साल के बॉन्ड के जरिये, करीब 16 प्रतिशत 14 साल के बॉन्ड के जरिये, 13.25 प्रतिशत 30 साल के बॉन्ड के जरिये और करीब 14 प्रतिशत रकम 40 साल के बॉन्ड के जरिये जुटाई जाएगी. वहीं 6.15 प्रतिशत रकम फ्लोटिंग रेट बॉन्डस के जरिये जुटाई जाएगी. इन बॉन्ड्स के साथ ही सरकार पहली तिमाही में हर हफ्ते 33 से 34 हजार करोड़ रुपये के ट्रेजरी बिल भी जारी करेगी. इसके जरिये सरकार की 2.4 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है.

खर्च बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति देनी की कोशिश
महामारी के असर के बीच सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये खर्च बढ़ाने पर अपना फोकस कर रही है. सरकार ने सार्वजनिक व्यय से रिकवरी को गति देने के इरादे से वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में पूंजी व्यय 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किया गया है. हालांकि सरकार ने लोगों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए करों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है. सरकार का मानना है कि पूजी व्यय से अगले कई सालों के लिये रफ्तार बनाई जा सकेगी जिससे निजी निवेश को भी प्रोत्साहित किया जा सकेगा. रिकवरी के साथ लोगों और कंपनियों की आय बढ़ने के साथ सरकार की आय भी आगे बढ़ सकेगी. इसी वजह से सरकार बाजार से कर्ज उठा कर ऐसी योजनाओं में लगा रही है जो आगे अर्थव्यवस्था को तेज गति दे सकें.


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