नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके एक ही संपत्ति को सात अलग-अलग वित्तीय संस्थानों के पास गिरवी रखने और उनसे 25 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में महाराष्ट्र के जलगांव से एक दंपति को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
आरोपियों की पहचान जितेंद्र जैन और उनकी पत्नी अंजना जैन के रूप में हुई है। यह अन्य मामलों में वांछित थे और उनकी गिरफ्तारी के लिए सूचना देने के लिए 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।
कार्वी फाइनेंस सर्विसेज लिमिटेड के दीपांकर सिंह ने दंपति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ईओडब्ल्यू पुलिस स्टेशन ने एफआईआर दर्ज की और इसके बाद दंपति को गिरफ्तार किया गया। दीपांकर सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि अंजना और जितेंद्र जैन ने 2014 में भजनपुरा के मुख्य बाजार में अपनी आवासीय संपत्ति के बदले 2.6 करोड़ रुपये का लोन लिया था।
जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपी ने उसी संपत्ति को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, चोलामंडलम फाइनेंस, कार्वी फाइनेंस सहित सात अलग-अलग वित्तीय संस्थानों के पास गिरवी रखकर 25 करोड़ रुपये का ऋण सुरक्षित करने में कामयाबी हासिल की।
पुलिस उपायुक्त (ईओडब्ल्यू) विक्रम पोरवाल ने कहा कि आरोपी जुलाई 2016 से फरार थे और दिल्ली, तमिलनाडु के थेनी, बेंगलुरु, नासिक और जलगांव सहित देश भर में लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे। तकनीकी निगरानी से उनके स्थान के बारे में विशिष्ट जानकारी मिलने के बाद दंपति को जलगांव के ग्रहकुल कॉलोनी में एक किराए के आवास से गिरफ्तार किया गया था।
डीसीपी ने कहा कि आरोपियों ने बैंकों को संपार्श्विक (कोलैटरल) सुरक्षा के रूप में पेश की गई संपत्ति के जाली और मनगढ़ंत बिक्री कार्यों के आधार पर ऋण प्राप्त किया। लोन राशि नकद के रूप में निकाली गई थी, और इसमें से कुछ का उपयोग नरेला औद्योगिक क्षेत्र में एक अस्थायी कारखाना स्थापित करने के लिए किया गया था ताकि कारखाने को चालू हालत में दिखाकर आगे लोन प्राप्त किया जा सके।