प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए जिला क्षय रोग विभाग पूरी तरह सक्रिय:डा. शिरीष जैन

Update: 2022-09-16 14:07 GMT

नोएडा स्पेशल न्यूज़: देश से वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए जिला क्षय रोग विभाग पूरी तरह सक्रिय है। विभाग टीबी उन्मूलन के लिए टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी पर फोकस कर रहा है। इसके लिए विभाग की ओर से निजी चिकित्सालयों, निजी चिकित्सकों को भी निर्देश जारी किये गये हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शिरीष जैन ने बताया- क्षय रोगी खोज अभियान के तहत सक्रिय रोगियों के संपर्कों की जांच, स्क्रीनिंग की जा रही है। इस दौरान यदि कोई टीबी से मिलते जुलते लक्षण वाला व्यक्ति नजर आता है तो उसकी बलगम जांच की जाती है। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर उसका तत्काल इलाज शुरू कर दिया जाता है। इसके अलावा जिस घर में टीबी का मरीज पाया जाता है उसके परिवार वालों और संपर्क में आये व्यक्तियों की भी जांच की जाती है। जांच में किसी को टीबी की पुष्टि न भी हो, पर उसे टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) जरूर दी जाती है। इस थेरेपी में कुछ चुनिंदा दवा इन लोगों को निशुल्क दी जाती हैं, जिससे उन्हें भविष्य में टीबी न हो। डा. जैन ने बताया- टीबी को फैलन से रोकने में टीपीटी काफी कारगर साबित हो रही है। स्वास्थ्य विभाग ने अब इसका दायरा बढ़ा दिया है, इसीक्रम में अब निजी चिकित्सालयों और निजी चिकित्सकों को भी टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी चलाने के निर्देश दिये गये हैं।

उन्होंने बताया – उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के जरिए निजी चिकित्सालयों और चिकित्सकों को क्षय रोग के प्रति संवेदीकरण करेगा। 23 सितंबर को नोएडा व 24 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में संवेदीकरण कार्यक्रम निर्धारित है।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया-टीबी का एक मरीज उपचार शुरू न होने की स्थिति में दस से पन्द्रह लोगों को संक्रमित कर सकता है। यदि किसी को दो सप्ताह से अधिक खांसी हो, खांसी में बलगम या खून आता हो, शाम के समय बुखार हो, वजन कम हो रहा हो, भूख न लगती हो, तो ऐसे व्यक्ति को टीबी हो सकती है। उन्होंने कहा – हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने आस-पास नजर रखे कि कोई इस तरह के लक्षण वाला तो नहीं है। यदि नजर आता है तो उसे तुरंत टीबी की जांच कराने के लिए कहें। सरकारी स्तर पर टीबी की जांच और उपचार की निशुल्क व्यवस्था है। यही नहीं टीबी के मरीज को पोषण के लिए सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये दिये जाते हैं। यह धनराशि मरीज के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है।

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