दिल्ली की हवा से सांस लेने में दिक्क़त, एक्सपर्ट बोले- 'ये हेल्थ इमरजेंसी, गंभीर नहीं हुए तो बड़ा खतरा'

पिछले कई दिनों से दिल्ली की हवा में 'जहर' घुला हुआ है.

Update: 2021-11-11 07:14 GMT

पिछले कई दिनों से दिल्ली की हवा में 'जहर' घुला हुआ है, जिसकी वजह से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में लगातार सुधार आ रहा है, लेकिन अब भी यह 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है. इस बीच, ग्रीन थिंक-टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने कहा है कि स्मॉग ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) को प्रभावित किया है और अगले दो दिनों तक हालात के ऐसे ही रहने की आशंका है. दिल्ली में मौसमी धुंध काफी घनी है. अक्टूबर के मध्य से 8 नवंबर तक पराली दैनिक योगदान पिछले चार वर्षों में सबसे कम रहा है. दिल्ली की इस स्थिति को लेकर एक्सपर्ट ने इसे इमरजेंसी करार दिया और तुरंत एक्शन लेने की जरूरत बताई.

सीएसई की कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान और वकालत) अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा, "मौसम की प्रतिकूल स्थिति पराली जलाने और पटाखों की वजह से शुरू हुई है." सीएसई ने बताया कि पिछले चार सालों में स्मॉग की तुलना करें तो वर्तमान स्थिति साल 2018 और 2020 की स्थिति जैसी ही है. दोनों ही सालों में छह दिनों तक स्मॉग रहा था. इस साल अब तक स्मॉग की औसत तीव्रता 329 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर प्रति दिन है, जो कि 2020 स्मॉग (7 फीसदी) और 2019 स्मॉग (3 फीसदी) की तुलना में कम है. यह 2018 के स्मॉग (करीब 9 फीसदी) की तुलना में अधिक तीव्र है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सीएसई के अर्बन लैब के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी ने बताया, ''पीएम 2.5 के बहुत अधिक स्तर ने ध्यान अपनी ओर खींचा है तो वहीं दोनों गैस CO और NO2 का स्तर ऊंचा बना हुआ है. साथ ही, दिवाली की रात में SO2 से NO2 के रेशिया में भी बढ़ोतरी हुई, जोकि पटाखों से बढ़ते पॉल्यूशन को दिखाता है. साल 2017 के बाद से दिवाली की रात (रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक) में PM2.5 की सघनता सबसे अधिक रही है."

एक्सपर्ट बोले- यह पब्लिक इमरजेंसी, एक्शन की जरूरत
वहीं, एक्सपर्ट रॉय चौधरी ने बताया कि दिल्ली की हवा में जारी स्मॉग एक पब्लिक इमरजेंसी है. इसके लिए धूल वाले सोर्सेज जैसे-कारें, इंडस्ट्रीज, वेस्ट बर्निंग और डस्ट सोर्सेज जैसे कंस्ट्रक्शन और सड़कों पर तुरंत इमरजेंसी एक्शन लेने की जरूरत है, ताकि प्रदूषण को और अधिक फैलने से रोक जा सके. साथ ही, हमें प्रदूषण-सोर्स वाइस और हॉटस्पॉट वाइस स्टेटस पर काम करने की भी जरूरत है.
सीएसई ने आगे कहा कि दिल्ली के दैनिक PM 2.5 में अक्टूबर के मिड से 8 नवंबर के दौरान औसतन धुएं का योगदान पिछले चार वर्षों में सबसे कम रहा है. अब तक, यह औसतन 12 प्रतिशत प्रति दिन दर्ज किया गया है, जबकि 2020 में प्रति दिन 17 फीसदी, 2019 में प्रति दिन 14 फीसदी और साल 2018 में प्रति दिन 16 प्रतिशत दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा, ''यदि एक्सोल्यूट कंसेंट्रेटर्स में परिवर्तित किया जाता है, तो इस वर्ष अब तक धुएं का प्रति दिन योगदान 26 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जबकि 2020 में 35 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर, 2019 में 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 2018 में 31 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था.'' हालांकि, दिल्ली के पीएम स्तर पर धुएं का सबसे अधिक योगदान 7 नवंबर को दर्ज किया गया था, जब यह 48 फीसदी तक पहुंच गया था.


Tags:    

Similar News

-->