दिल्ली की नीली झील का होगा सौंदर्यीकरण, बनाया जायेगा टूरिस्ट स्पॉट

Update: 2022-07-03 06:03 GMT

दिल्ली न्यूज़: दिल्ली में असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगलों के बीच स्थित मनमोहक नीली झील के सौंदर्यीकरण का काम जल्द शुरू होगा। दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने इस झील को टूरिस्ट स्पॉट में बदलने के लिए टेंडर जारी कर दिया है। टेंडर आवंटित होने के बाद इसके पुर्निवकास का काम 365 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। यहां घूमने आने वाले लोगों के लिए इलेक्ट्रिक कार और गाइड की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी तथा ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू की जाएगी। इको फ्रेंडली सुविधा मिलेगी। इसकी अनुमानित लागत 2,39,86,305 करोड़ रूपए बताई गई है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हरित रंगशाला, जैविक शौचालय, पगडंडी और इलेक्ट्रिक चौपहिया वाहन पुर्निवकास योजना का हिस्सा होंगे। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पिछले साल पांच जून को घोषणा की थी कि शहर की सरकार संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली की सबसे बड़ी नीली झील को एक पारिस्थितिकी पर्यटन केंद्र के रूप में पुनर्विकसित करने की योजना बना रही है। करीब 6,874 एकड़ में फैले असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य के नीली झील के आसपास के 40 हेक्टेयर क्षेत्र को सौंदर्यीकरण योजना में शामिल किया गया है। बता दें कि भाटी खदानों में लगभग 35 साल पहले खनन कार्य बंद कर दिया गया था। दशकों की खुदाई के दौरान बने गहरे गड्ढे साफ नीले पानी वाली खूबसूरत झीलों में तब्दील हो गए हैं। अभयारण्य के मुख्य द्वार से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीली झील इनमें सबसे बड़ी झील है। विभाग की योजना के अनुसार झील पर घास के मैदान में स्थित रंगशाला विकसित की जाएगी और जैविक शौचालयों की व्यवस्था की जाएगी। जब तक विभाग इलेक्ट्रॉनिक चौपहिया वाहन नहीं खरीद लेता, तब तक शुरुआत में लोग अपनी कार से झील आ सकेंगे। अभयारण्य के अंदर मोबाइल नेटवर्क कमजोर है और पगडंडी अच्छी तरह से चिन्हित नहीं है, इसलिए झील तक जाने वाले ऊबड़-खाबड़ कच्चे रास्ते ठीक किए जाएंगे और संकेतक लगाए जाएंगे। सेल्फी प्वाइंट भी बनाए जाएंगे। बता दें कि दिल्ली सरकार पहले चरण में 23 झीलों और 250 जलाशयों के पुनर्निर्माण का काम पूरा करने के लिए अधिकारियों को 2 साल का समय दिया है। इन परियोजनाओं में कई पहलुओं को शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें झीलों को सालभर साफ पानी से भरा रहना चाहिए। यह सुनिश्चित हो कि इन जल निकायों से अधिकतम अंडरग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो। कीचड़ और सूखे कूड़े को साफ किया जाए। ये सभी कार्य पर्यावरण के अनुसार होने चाहिए। झीलों को इस तरह से पुनर्विकसित किया जाएगा कि वे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनें। झीलों के आसपास अतिरिक्त पानी से अंडर ग्राउंड रिचार्ज के लिए कुएं बनाए जाएंगे। बारिश का साफ पानी ले जाने वाले नालों को आसपास के जलाशयों और झीलों से जोड़ा जाएगा।

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