दिल्ली महिला आयोग ने जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोके जाने पर जताई आपत्ति
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में लदकियों की एंट्री बैन कर दी है। उसने तीनों एंट्री गेट पर एक नोटिस बोर्ड लगा दिया है जिसमें लिखा है, जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है। मतलब ये कि लड़की या लड़कियों के साथ अगर अगर कोई पुरुष अभिभावक नहीं है तो उन्हें मस्जिद में एंट्री नहीं मिलेगी। माना जा रहा है कि मस्जिद परिसर में अश्लीलता को रोकने के लिए ये कदम उठाया गया है। इसे लेकर विवाद होता दिख रहा है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इसकी आलोचना करते हुए इमाम को नोटिस जारी करने की बात कही है। बता दें कि जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने साफ किया है कि नमाज पढ़ने के लिए आने वाली महिलाओं को नहीं रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि लड़कियां अपने प्रेमी के साथ मस्जिद में आती हैं। इसलिए ऐसी लड़कियों की एंट्री बैन की गई है। शाही इमाम ने कहा कि अगर कोई महिला जामा मस्जिद आना चाहती है तो उसे परिवार या पति के साथ आना होगा। अगर नमाज पढ़ने के खातिर आती है तो उसे नहीं रोका जाएगा।
जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूँ। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) November 24, 2022
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोके जाने को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि वह जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस करने जा रही हैं। मालिवाल ने ट्वीट किया कि जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फैसला बिलकुल गलत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।
दरअसल, महिलाओं की एंट्री को लेकर मस्जिद प्रबंधन फैसला करता है। जिन मस्जिदों में महिलाओं के नमाज पढ़ने के लिए अलग से जगह होती है, वहां वो बिना रोक-टोक के जा सकती हैं। यहां तक कि केरल में एक महिला जुमे के नमाज की इमामत तक कर चुकी है। नमाज इस्लाम के 5 आधारभूत फर्ज में से एक है। मस्जिद में जो शख्स नमाज के लिए अजान देता है उसे मुआज्जिन कहा जाता है और जो शख्स नमाज पढ़ाता है उसे इमाम कहते हैं। आमतौर पर मुआज्जिन और इमाम पुरुष ही होते हैं लेकिन 2018 में केरल की एक मस्जिद ने इतिहास रच दिया। 26 जनवरी 2018 को मलप्पुरम जिले की एक मस्जिद में जामिदा बीवी नाम की महिला ने जुमे की नमाज पढ़ाया। इस तरह वह जुमे की नमाज का नेतृत्व करने वाली भारत की पहली महिला इमाम बन गईं।
जनवरी 2020 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस्लाम न तो मस्जिद में महिलाओं को आने से रोकता है और न ही नमाज पढ़ने से। हालांकि, उसने साथ में यह भी कहा कि इस्लाम में महिलाओं का जुमे की नमाज में शामिल होना जरूरी नहीं है और बोर्ड मस्जिदों पर कोई नियम नहीं थोप सकता।