DELHI: भारत की दो कोयला खदानें अब दुनिया की 5 सबसे बड़ी खदानों में शामिल
New Delhi नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की गेवरा और कुसमुंडा कोयला खदानों ने वर्ल्डएटलस डॉट कॉम द्वारा जारी दुनिया की 10 सबसे बड़ी कोयला खदानों की सूची में क्रमशः दूसरा और चौथा स्थान हासिल किया है। कोयला मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित ये दोनों खदानें सालाना 100 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन करती हैं, जो भारत के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है। गेवरा ओपनकास्ट खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता 70 मिलियन टन है और इसने वित्त वर्ष 23-24 में 59 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया। खदान ने 1981 में परिचालन शुरू किया और इसमें अगले 10 वर्षों के लिए देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला भंडार है। कुसमुंडा ओपनकास्ट खदान ने वित्त वर्ष 23-24 में 50 मिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन किया, यह गेवरा के बाद भारत की दूसरी खदान है जिसने यह उपलब्धि हासिल की है। कोयला मंत्रालय के बयान के अनुसार, इन खदानों में दुनिया की कुछ सबसे बड़ी और सबसे उन्नत खनन मशीनें जैसे कि ‘सरफेस माइनर’ लगाई गई हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल खनन कार्यों के लिए विस्फोट के बिना कोयला निकालती और काटती हैं।
ओवरबर्डन हटाने (कोयले की परत को उजागर करने के लिए मिट्टी, पत्थर आदि की परतों को हटाने की प्रक्रिया) के लिए, खदानें पर्यावरण के अनुकूल और विस्फोट-मुक्त ओबी हटाने के लिए 240 टन के डंपर, 42 क्यूबिक मीटर शॉवल के साथ-साथ वर्टिकल रिपर्स जैसे दुनिया की कुछ सबसे बड़ी एचईएमएम (हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी) का उपयोग करती हैं। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के सीएमडी प्रेम सागर मिश्रा ने कहा कि यह वास्तव में छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है कि दुनिया की पांच सबसे बड़ी कोयला खदानों में से दो अब राज्य में हैं।