New Delhi नई दिल्ली: केंद्र सरकार मंगलवार को दोपहर 12 बजे लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ओएनओपी) विधेयक पेश करेगी। विधेयक पेश किए जाने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा में सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान करने वाले ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। मंगलवार को लोकसभा के सूचीबद्ध एजेंडे में एक साथ चुनाव कराने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक भी शामिल है।
संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल द्वारा पेश किया जाएगा। अर्जुन मेघवाल मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक भी पेश कर सकते हैं। इस विधेयक का उद्देश्य दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का है। इस घोषणा के बाद, भाजपा की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने भी लोकसभा में अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया और शिवसेना (शिंदे गुट) ने भी सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने को कहा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दी थी। इस विधेयक के पेश होने के बाद, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजने का अनुरोध करने की उम्मीद है। संयुक्त पैनल का गठन विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या के आधार पर आनुपातिक आधार पर किया जाएगा। भाजपा और उसके सहयोगी दल जहां इस विधेयक के समर्थन में हैं, वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके समेत कई विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं।
सितंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक साथ चुनाव कराने संबंधी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में इन सिफारिशों को रेखांकित किया गया था। इस समिति ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसने पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने और आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) कराने की सिफारिश की थी। इसने कहा था कि सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची होनी चाहिए।