दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एनएसईएल मामले में हाई पावर कमेटी को किया नियुक्त
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नयी दिल्ली: नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) ने बुधवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने डिफॉल्टर्स से वसूली के लिये बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप नंदराजोग की अगुवाई में एक हाई पावर कमेटी के गठन को मंजूरी दी है। यह मामला 5,600 करोड़ रुपये के ऋण भुगतान संकट से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करके समिति का गठन किया है। यह समिति ही डिफॉल्टर्स के खिलाफ आदेश जारी करेगी।
डिफॉल्टर के खिलाफ खुद एनएसईएल ने अकेले दम पर 3,534.46 करोड़ रुपये की डिक्री या मध्यस्थता अवार्ड हासिल किया है। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त हाई पावर कमेटी ने 760.31 करोड़ रुपये की देनदारी तय की है। एनएसईएल को भरोसा है कि जल्द ही इसके लिये भी डिक्री जारी कर दी जायेगी।
एन के प्रोटीन के खिलाफ 964 करोड़ रुपये की डिक्री बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित है। मुम्बई पुलिस की आपराधिक इकाई शाखा और गंभीर धोखाधड़ी जांच अधिकारी (एसएफआईओ) ने इस देनदारी की पुष्टि की थी। दो डिफॉल्टर 195.75 करोड़ रुपये की रकम अदा कर चुके हैं। एनएसईएल के डिफॉल्टर्स को कुल 5,454.52 करोड़ रुपये चुकाने हैं और इनकी संपत्ति अटैच कर दी जाये तो सभी ग्राहकों के दावे निपटाये जा सकते हैं।
एनएसईएल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति इन सभी दावों की पुष्टि करेगी। एसएफआईओ पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें 2,239.61 करोड़ रुपये के दावे प्राप्त हुये हैं, जिनमें से 935.09 करोड़ रुपये के दावे संदेहास्पद हैं। अगस्त 2013 में जैसे ही भुगतान संकट उभरा तो एनएसईएल ने जिग्नेश शाह की कंपनी 63 मून्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड से 179 करोड़ रुपये का ऋण लिया।
इन राशि का इस्तेमाल ट्रेडर्स का भुगतान करने में किया गया। इसके जरिये उन ट्रेडर्स के दावे निपटाये गये। जिन्होंने दो लाख रुपये तक दावा किया था, उन सभी को रकम दे दी गई लेकिन दो लाख से 10 लाख रुपये तक का दावा करने वाले करीब 50 फीसदी ट्रेडर्स के ही दावे निपटाये गये हैं। हाल में महाराष्ट्र सरकार ने दो लाख से 10 लाख रुपये तक का दावा करने वाले शेष सभी ट्रेडर्स को भुगतान कर दिया। एनएसईएल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति डिफॉल्टर्स की जब्त की गई संपत्ति की बिक्री करने की प्रक्रिया की निगरानी करेगी।