दिल्ली: ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दिसम्बर तक हो जाएगा तैयार, यमुना को मिलेगा नया जीवन
दिल्ली न्यूज़: यमुना एक्शन प्लान-3 के अंतर्गत बन रहे 564 एमएलडी क्षमता के ओखला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट दिसम्बर तक तैयार हो जाएगा। इस परियोजना के लिए 85 प्रतिशत लागत नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्र सरकार दे रही है और 15 प्रतिशत राज्य सरकार देगी। ओखला एसटीपी परियोजना की कुल स्वीकृत लागत 665.78 करोड़ रुपए है। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज निरीक्षण दौरा किया और दिसम्बर, 2022 की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए एसटीपी कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दिसम्बर, 2022 के बाद दिल्ली की यमुना नदी में निश्चित रूप से जल की गुणवत्ता में सुधार महसूस किया जाएगा। बता दें कि ओखला एसटीपी एशिया में सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है और 564 एमएलडी के इस प्लांट के निर्माण के बाद यमुना के जल की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह एकीकृत परियोजना है इसलिए इसके कार्य के दायरे में गाद प्रबंधन को भी शामिल किया गया है। इसके अनुसार पर्यावरण संबंधी विषयों को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक तरीके से गाद का उचित निपटान किया जाएगा। निरीक्षण के दौरान गंगा की सफाई मिशन के महानिदेशक जी. अशोक कुमार भी मौजूद थे।
दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 1268 एमएलडी गंदा जल शोधन के लिए कुल 11 परियोजनाएं 2009 करोड़ रुपए की लागत से यमुना नदी संरक्षण के लिए शुरू की हैं। इन परियोनजाओं का उद्देश्य कोरोनोशन पिलर एसटीपी पूर्ण, कोंडली, ओखला तथा रिठाला के जलग्रहण क्षेत्र में 1268 एमएलडी की कुल शोधन क्षमता को तैयार करना है और इसे दिसम्बर, 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है। ओखला सीवेज ट्रीटमेंट परिसर में 6 अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र फेज-1, 136 एमएलडी, फेज-2 में 55 एमएलडी, फेज-3, 205 एमएलडी, फेज-4 में 168 एमएलडी, फेज-5, 73 एमएलडी, फेज-6 में 136 एमएलडी हैं। फेज एक से चार के संयंत्र 1993 से पहले बनाए गए थे। अब ये संयंत्र अपना समय पूरा कर चुके हैं और इसीलिए इसी क्षमता के 564 एमएलडी की संयुक्त क्षमता का नया एसटीपी बने जिसमें कठोर प्रवाह मानकों को रखा जाए। इन मानकों में जैविक पोषक शामिल है। इसमें प्रवाह, एससीएडीए, बायोगैस से विद्युत उत्पादन तथा गाद प्रबंधन आदि की ऑनलाइन निगरानी का भी प्रावधान है।