दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर पुरुषों के साथ महिलाएं भी इलेक्ट्रिक ऑटो में सवारियों को ढोती नजर आएंगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीरवार को आईपी डिपो से नीले रंग के इलेक्ट्रिक ऑटो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अब देश में सबसे ज्यादा ई-ऑटो दौड़ेंगे। जल्द सड़कों पर हजारों इलेक्ट्रिक ऑटो दौड़ते नजर आएंगे। मुख्यमंत्री ने 20 ई-ऑटो ड्राइवरों को आरसी भी सौंपी, जिसमें महिला ड्राइवर भी शामिल हैं। केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली एकजुट होकर लड़ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार की ईवी पॉलिसी की पूरे देश में तारीफ हो रही है और दिल्ली को अब ईवी कैपिटल भी माना जाने लगा है। ई-ऑटो के शुरू होने से साढ़े तीन हजार से अधिक परिवारों को रोजगार मिला है, जिसमें 500 महिला चालक भी शामिल हैं। ई-ऑटो का किराया सीएनजी ऑटो के समान ही होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ईवी पॉलिसी लागू होने के बाद पहले साल में ही दिल्ली में कुल खरीदे गए वाहनों में से 10 फीसद इलेक्ट्रिक वाहन हैं। पिछले पांच साल में ईवी पॉलिसी के तहत 45 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। इस दौरान केजरीवाल ने ई-ऑटो का मुआयना भी किया। सीएम केजरीवाल ने एक महिला चालक के ई-ऑटो में बैठकर कुछ दूर तक सवारी की और ऑटो की विशेषताओं और सुरक्षा पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। सरकार हर एक ई-ऑटो पर 30 हजार रुपए की सब्सिडी देती है। साथ ही, अगर कोई लोन लेता है, तो उसमें भी 5 फीसद की छूट है। सरकार हर तीन किलोमीटर की परिधि में एक चार्जिंग प्वाइंट स्थापित करेगी। सीएम ने कहा कि महज दो हजार देकर आप चार्जर लगा सकते हैं। आप अपने घर में भी ई-ऑटो को चार्ज कर सकते हैं। सरकार ने 300 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन का टेंडर किया है, जो जल्द ही चालू हो जाएगा। बता दें कि ईवी पालिसी 2020 के तहत परिवहन विभाग ने 4261 ई-ऑटो के आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुरूष कोटे के 2855 ई-ऑटो के कोटे के मुकाबले पुरुष आवेदकों से 19,846 आवेदन प्राप्त हुए और 1406 ई-ऑटो के कोटे के मुकाबले महिला आवेदकों से 743 आवेदन प्राप्त हुए थे। दूसरे दौर में 93 और महिला चालकों के आवेदन आए थे। जिसके नाम से ई-ऑटो आवंटित होगा, वही चला सकेगा।
लाइसेंस फीस पूरी माफ: परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई पहल की है। उनकी लाइसेंस फीस पूरी माफ है। शारीरिक ऊंचाई को कम किया गया है और तीन साल की बजाय अब एक माह की ट्रेनिंग लेकर महिलाएं डीटीसी व क्लस्टर बसें चला सकती हैं।