Delhi News: वित्त वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहेगी
नई दिल्ली New Delhi: दिल्ली नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने शुक्रवार को कहा कि Indian economy in the current financial year चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और आने वाले कई वर्षों तक इसी तरह की वृद्धि दर बनाए रखने की राह पर है। विरमानी ने कहा कि देश के सामने नई चुनौतियां हैं और उनसे निपटना होगा। उन्होंने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत प्लस माइनस 0.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी... मुझे उम्मीद है कि हम आज से कई वर्षों तक 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की राह पर हैं।" पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 25 के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। पिछले वित्त वर्ष में निजी उपभोग व्यय में गिरावट के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए विरमानी ने कहा कि वास्तव में अब इसमें सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, "महामारी का प्रभाव बचत को कम करना था... और यह पिछले वित्तीय झटकों से बहुत अलग है।" आगे बताते हुए विरमानी ने कहा कि यह दोहरे सूखे की स्थिति जैसा है।
उन्होंने कहा, "पिछले साल भी अल नीनो आया था, लेकिन महामारी के कारण लोगों को अपनी बचत कम करनी पड़ी... इसलिए, जाहिर सी बात है कि अपनी बचत को फिर से बढ़ाना होगा, जिससे मौजूदा खपत कम होती है।" उन्होंने कहा कि अगर लोग ब्रांडेड सामान खरीद रहे थे, तो वे कम ब्रांडेड या साधारण सामान खरीदेंगे और उस पैसे का कुछ हिस्सा बचाएंगे। उन्होंने बताया कि इससे खपत में गिरावट का पता चलता है। विरमानी ने कहा कि इतिहास बताता है कि गठबंधन सहयोगी उन राज्यों में निजीकरण को धीमा कर सकते हैं, जहां क्षेत्रीय सहयोगी सत्ता में हैं, लेकिन यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, "मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि निजीकरण दूसरे राज्यों में क्यों नहीं हो सकता और यह इन राज्यों (जहां गठबंधन दल सत्ता में हैं) में भी हो सकता है। मैं आपको सिर्फ एक ऐतिहासिक उदाहरण दे रहा हूं।"
एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडी(यू) के साथ-साथ अन्य गठबंधन सहयोगियों के समर्थन से एनडीए ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में केंद्र में सरकार बनाने के लिए आधी संख्या पार कर ली। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में गिरावट के बारे में विरमानी ने कहा कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अमेरिका और अन्य विकसित देशों में निवेश पर जोखिम रहित रिटर्न उभरते बाजारों की तुलना में कहीं अधिक है। उन्होंने कहा, "जैसे ही अमेरिका में ब्याज दरें कम होने लगेंगी, मुझे उम्मीद है कि भारत सहित उभरते बाजारों में एफडीआई बढ़ेगा।"