दिल्ली एनसीआर: जियो टेक्सटाइल फाइबर नोएडा के ट्विन टावर ब्लास्ट में बिखराव को रोकेगा

Update: 2022-04-02 17:07 GMT

दिल्ली एनसीआर न्यूज़: नोएडा के सुपरटेक एमराल्ड के दोनों टावरों पिलर पर जियो टैक्सटाइल फाइबर की कोटिंग का काम शुरू कर दिया गया है। ब्लास्ट ट्रायल 10 अप्रैल को होना है। इसके लिए 10 किलो एक्स्पलोसिव लगेगा। ब्लास्ट ट्रायल के लिए एक्सप्लोसिव सिर्फ पांच पिलर में लगाया जाएगा। फाइनल ध्वस्तीकरण 22 मई को होगा। इसके लिए जियो टेक्सटाइल फाइबर की कोटिंग शुरू कर दी गई है।

एडिफिस कंपनी के प्रोजेक्ट हेड उत्कर्ष मेहता ने प्रजेंटेशन के दौरान बताया था कि दोनों टावरों को गिराने के लिए दो ब्लास्ट (प्राइमरी और सेकंड्री) होंगे। प्राइमरी ब्लास्ट में ग्राउंड फ्लोर, पहले, दूसरे, छठवें, दसवें, 14वे, 22वे, 26 वे और 30वें फ्लोर पर एक्सप्लोसिव किया जाएगा। इसके ब्लास्ट के सिक्यूसेंस 0 से 7.0 सेकंड का होगा। इसी तरह सेकंड्री ब्लास्ट 0 से 3.5 सेकंड का होगा। ब्लास्ट के दौरान मलबा प्रिमिसिस से बाहर नहीं आएगा। इसके लिए प्रत्येक कॉलम जिसमे एक्स्प्लोसिव किया जाएगा उसे वायर गेज, जियो टेक्सटाइल फाइबर से कवर किया जा रहा है। प्रत्येक ब्लास्ट फ्लोर के बार ग्रीन शीट या सेफ्टी नेट। आसपास के टावर के सुरक्षा के लिए कवर शीट लगाई जाएगी। ये शीट डस्ट और मलबे को रोकेगी।

क्या है जियो टेक्सटाइल फाइबर: जियो टेक्सटाइल फाइबर एक प्राकृतिक पारगम्य फैब्रिक है, जो बेहद मजबूत होने के साथ अत्यधिक टिकाऊ, टूट-फूट, मोड़ एवं नमी प्रतिरोधी है। इस कारण इसका उपयोग नदी तटबंधों, खादान की ढलानों का स्थिरीकरण करने और मिट्टी के कटाव को रोकने में भी किया जा सकता है। यहां इसका प्रयोग ब्लास्ट के दौरान कंस्ट्रक्शन मलबा न फैले इसके लिए किया जा रहा है। पिलर के चारों ओर हैवी वायर मैश (तारो का जाल) बनाया जा रहा है जो एक प्रकार की जकड़ बनाता है। ब्लास्ट के दौरान पिलर ध्वस्त होगा लेकिन उसके पार्टिकल दूर दूर तक नहीं जाएंगे।

टावरों के पिलर की हो रही रैपिंग: टावरों को ध्वस्त करने के लिए एडिफिस कंपनी की ओर से की गई मार्किंग पर होल किए जा रहे है। इन होल में वायरों को निकालकर पूरे पिलर को जियो टेक्सटाइल फाइबर से कवर किया जा रहा है। दरअसल ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यदि बारिश होती है तो न तो दीवारों पर नमी आएगी और न ही किसी प्रकार का फंगस इस पर लगेगा। जिससे ब्लास्ट करने में परेशानी नहीं होगी। बता दे टावरों के ब्लास्ट में नॉन इलेक्ट्रिकल केबिल का प्रयोग किया जाएगा और वाइब्रेश को कंट्रोल करने के लिए ब्लास्ट में डिले (अंतराल) होगा। अधिकारियों ने बताया कि ये अंतराल माइक्रोसेंकड का होता है। ये सुनने में काफी कम है लेकिन वाइब्रेशन को कम करने में काफी बेहतर है।

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