दिल्ली एनसीआर: फरीदाबाद में चल रहे 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में बिहार के शिल्पकार बने आकर्षण का केंद्र

Update: 2022-03-25 14:39 GMT

फरीदाबाद: 35वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में शिल्पकारों की नई-नई कला देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में बिहार से आए मोहम्मद आसिम द्वारा सिक्की घास से बनाई जाने वाले उत्पाद भी काफी पसंद किए जा रहे है। देश के महानगरों में सिक्की आभूषण की डिमांड तेजी से बढ़ी है। बिहार की प्राचीन सिक्की कला नए अवतार के रूप में तैयार आभूषण और अन्य उत्पाद देश-दुनिया को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।

इसी कला को लेकर बिहार के शिल्पकार मोहम्मद आसिम मेले में अपना स्टाल लगाए हुए हैं। शिल्पकार मोहम्मद आसिम ने बताया कि घास को हम खरपतवार समझकर नष्ट कर देते हैं, लेकिन घास को रोजगार का जरिया बनाया जा सकता है बल्कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने और इससे बने उत्पादों को प्लास्टिक की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है, सिक्की घास कई जगहों पर पाई जाती है, लेकिन सभी को इसकी पहचान नहीं है। बिहार में यह घास 2 महीने के समय में ही होती है, इन्हीं दो महीने में घास को खरीदा जाता है। घास की कीमत करीब 600 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है। घास को महीने भर सुखाया जाता है। इसके बाद तरह-तरह के सामान तैयार किए जाते हैं, सुखाने के बाद इससे महिलाओं के श्रृंगार से लेकर घरेलू उपयोग के कई अन्य सामान तैयार किया जाता है, इससे तैयार हुए उत्पाद की कीमत 100 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक होती है। शिल्पकार आसिम ने बताया कि वह अब तक करीब 90 लोगों को घास से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दे चुके हैं, उन्हें यह कला उनकी पत्नी ने सिखाई है।

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