New Delhi नई दिल्ली : भगवान को राजनीति से दूर रखने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के उस सार्वजनिक बयान पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट "बिल्कुल स्पष्ट नहीं थी" और यह प्रथम दृष्टया संकेत देती है कि 'अस्वीकृत घी' का परीक्षण किया गया था। रिपोर्ट से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह वह घी नहीं है जिसका इस्तेमाल किया गया है।
जब तक आप निश्चित नहीं हैं, आपने इसे सार्वजनिक कैसे किया?" जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा। "यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है और यह प्रथम दृष्टया संकेत देती है कि ये अस्वीकृत घी थे जिनका परीक्षण किया गया था। पीठ ने आंध्र प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा, "यदि आपने स्वयं जांच के आदेश दिए हैं, तो प्रेस के पास जाने की क्या आवश्यकता है?" पीठ ने कहा कि ये याचिकाएं ऐसे मुद्दे से संबंधित हैं, जो दुनिया भर में रहने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं को प्रभावित करती हैं। पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से यह बयान दिया था कि पिछले शासन के दौरान तिरुपति के लड्डू बनाने के लिए पशु वसा का उपयोग किया जा रहा था।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह तय करने में सहायता करने को कहा कि क्या राज्य द्वारा नियुक्त एसआईटी द्वारा जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि कुछ समाचार रिपोर्ट में कहा गया था कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी ने भी बयान दिया था कि मिलावटी घी का कभी उपयोग नहीं किया गया। टीटीडी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि चूंकि पहले आपूर्ति किया गया घी दूषित पाया गया था, इसलिए नमूनों का विश्लेषण करवाना आवश्यक पाया गया। उन्होंने कहा, "रिपोर्ट आने के बाद ही कदम उठाए गए।"