Delhi: मदनी हॉल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित हुई

"देश की वर्तमान सांप्रदायिक स्थिति को लेकर चर्चा की गई"

Update: 2024-12-28 10:52 GMT

दिल्ली: दिल्ली में ITO स्थित जमीयत मुख्यालय के मदनी हॉल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद कार्यकारिणी समिति की बैठक की गई. जिसमें देश की वर्तमान सांप्रदायिक स्थिति को लेकर चर्चा की गई. संभल सहित देश के विभिन्न हिस्सों में मस्जिदों और दरगाहों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाईयों पर बात की गई. इसके साथ ही पूजा स्थल अधिनियम और वक्फ संशोधन विधेयक जैसे मामलों पर कमेटी आगे का प्लान बनाया गया. मौलाना महमूद असद मदनी ने देश में बढ़ रही सांप्रदायिकता और नफरत के माहौल पर चिंता जाहिर की. उनका कहना था कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सुव्यवस्थित प्रयासों की आवश्यकता है. इस बैठक में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी समेत देशभर से जमीयत सदस्य शामिल हुए. जिसमें देश के अलग-अलग क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं और समस्याओं पर प्रकाश डाला और रिपोर्ट पेश की.

अपने चरित्र से एकता और भाईचारा बढ़ाएं: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना ने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें व्यवस्थित तरीके से काम करना होगा. ताकि न केवल इन खतरों का सामना किया जा सके, बल्कि अपने बुनियादी संवैधानिक अधिकारों की भी प्रभावी ढंग से रक्षा की जा सके. मौलाना मदनी ने कहा कि हम हमेशा से इस बात के पक्षधर रहे हैं कि सांप्रदायिकता का जवाब साम्प्रदायिकता से नहीं दिया जा सकता है. लेकिन, समाज में फैलाई जाने वाली गलतफहमियों का उचित और तर्कसंगत जवाब देना भी समय की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है. मौलाना मदनी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को चाहिए कि वह अपने चरित्र और आचरण के जरिए न केवल अपनों के दरमियान एकता पैदा करें, बल्कि देशवासियों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करने का प्रयास करें.

सरकार से कड़ा रुख अपनाने की अपील: कार्यकारिणी समिति की सभा ने विभिन्न परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद संभल में हुई घटना पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार को जल्द से जल्द न्यायालय में कड़ा रुख अपनाना चाहिए. ताकि देश में संभल जैसी घटना न हो. जमीयत उलेमा-ए-हिंद देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के नजरिए से इस मुद्दे को देखती है, इसलिए अदालत में भी इस मुद्दे की पूरी ताकत से पैरवी करेगी. कार्यकारिणी समिति ने वक्फ संशोधन विधेयक पर जमीअत उलेमा-ए-हिंद द्वारा किए गए प्रयासों की समीक्षा की और संतोष व्यक्त किया.

नए सदस्य बनाने की प्रक्रिया की घोषणा की: सभा में नए कार्यकाल 2024-27 के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नए सदस्य बनाने की प्रक्रिया की घोषणा भी की गई. सदस्यता अभियान की अवधि 1 अप्रैल 2025 तक चलेगी. इसके बाद, विभिन्न इकाइयों के चुनाव 31 मई 2025 तक होंगे. बैठक के दौरान यह भी चर्चा की गई कि पिछले कार्यकाल में हमारी 6800 स्थानीय इकाइयां थीं. इस बार पूरे देश में अधिक से अधिक इकाइयां बनाने का लक्ष्य है. मौलाना मदनी ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों के पालन पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जमीयत एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक संगठन है और इसे बनाए रखना अहम है.

देशवासियों की भूमिका पर सम्मेलन: कार्यकारिणी समिति ने वक्फ संशोधन विधेयक पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रयासों की समीक्षा की. इस विषय पर राज्य इकाइयों को विशेष निर्देश दिए गए. इनके अलावा, फरवरी 2025 में एक सम्मेलन आयोजित करने का फैसला लिया गया, जिसमें मुस्लिम देशवासियों के योगदान को उजागर किया जाएगा.

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