दिल्ली न्यूज़: दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और सोशल मीडिया मंचों को निचली अदालत के एक जज से जुड़े 'कामुक' वीडियो के सर्कुलेशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। वीडियो 9 मार्च का है, जो 29 नवंबर को सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर सर्कुलेट होता दिखा। हाई कोर्ट ने मामले में तत्काल सुनवाई के अनुरोध को मंजूर करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया। जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने आदेश में कहा कि वादी को इससे भारी नुकसान की आशंका को देखते हुए मामले में तत्काल सुनवाई की गई।
आईटी एक्ट की धारा 67 का उल्लंघन: याचिका में गूगल एलआईसी और अन्य को 9 मार्च के इस वीडियो के सर्कुलेशन को रोकने का निर्देश देने की मांग की गई। दलील दी कि यह वीडियो 29 नवंबर से सोशल मीडिया के तमाम मंचों और वेब पोर्टल पर सर्कुलेट हो रहा है। वीडियो के कंटेंट को देखने के बाद जस्टिस वर्मा ने कहा कि पहली नजर में आईपीसी की धारा 354सी और इंफॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 की धारा 67ए के प्रावधानों का उल्लंघन होता हुआ दिख रहा है, अगर इस वीडियो के सर्कुलेशन और डिस्ट्रीब्यूशन को रोका नहीं गया।
निजता को संभावित नुकसान की आशंका: कोर्ट ने गौर किया कि फुल कोर्ट ने प्रशासनिक स्तर पर मामले में संज्ञान लिया है और 29 नवंबर को इस मुद्दे पर फैसला लेते हुए प्रतिवादी को इस बारे में बता भी दिया गया है। ऐसे में अब जरूरत सिर्फ वीडियो के प्रसारण पर रोक लगाने की है। हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि वीडियो की कामुक प्रकृति को देखते हुए और इससे वादी की निजता को संभावित नुकसान को ध्यान में रखते हुए, एकपक्षीय सुनवाई के आधार पर रोक जरूरी है।
9 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई: प्रतिवादी इसे शेयर करने, डिस्ट्रीब्यूशन, फॉरवर्ड या पोस्ट करने पर रोक के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे। इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट सील कवर में देने का निर्देश है। मामले में अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी