नई दिल्ली: सतर्कता विभाग में फाइलों के मामले में पुलिस की अज्ञात के खिलाफ एफआईआर पर दिल्ली सरकार ने सवाल उठाए हैं। दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री ने सवाल उठाते हुए ट्वीट किया कि सर्तकता विभाग के सचिव सुधीर कुमार की नियुक्ति हमने नहीं उपराज्यपाल ने की थी। उन्होंने कहा कि सर्तकता विभाग के सचिव ने बीते 16 मई को मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखा था कि उनके निर्देश पर शैडो फाइलें ( डुप्लीकेट कॉपी ) बनाई गई और विभाग के मंत्री से इसका कोई लेना-देना नहीं है। यह उनके अधीनस्थ राजशेखर की जानकारी में था। मंत्री ने सवाल उठाया है कि फिर भी अज्ञात के खिलाफ झूठी एफआईआर क्यों?
सर्विसेज विभाग के मंत्री ने अगले ट्वीट में कहा कि राजशेखर ने अपने नोट में स्वीकार किया है कि उनसे काम वापस ले लिया गया था, उन्होंने अपने बास को 76 फाइलें भेजीं। उन्होंने कहा कि राजशेखर ने बाकी फाइलों को अपने पास क्यों रखा ? जब काम वापस ले लिया गया तो क्या फाइलों को अपने पास रखना गैर-कानूनी नहीं था क्या? अगर फाइलों को टेम्पर्ड किया गया तो फाइलों को टेम्पर्ड किसने किया? उन्हें और उनके बास को जवाब देना चाहिए।
वहीं, इस मुददे पर दिल्ली सरकार ने कहा कि राजशेखर कथित तौर पर आदतन अपराधी हैं, जिन्हें संवेदनशील सतर्कता से जुड़ी फाइलों को अवैध रूप से अपने कब्जे में रखने के लिए उनके पर्यवेक्षण अधिकारियों द्वारा बार-बार फटकार लगाई गई है। दिल्ली सरकार ने राजशेखर के बारे में ऐसे ही एक वाक्ये का जिक्र करते हुए बताया कि अगस्त 2019 में एनडीएमसी ने भी उन्हें ऐसे ही एक मामले में फटकार लगाई थी। राजशेखर ने अपने सहयोगी के साथ ऐसी ही संवेदनशील फाइलों को अवैध रूप से अपने पास रखा था, इनके छेड़छाड़ या नष्ट करने की संभावना थी। बाद में उन्हें एनडीएमसी से स्थानांतरित कर दिया गया।