दिल्ली की अदालत ने दो लोगों को 2020 के दंगों के दौरान हत्या के प्रयास और दंगे का दोषी ठहराया
नई दिल्ली (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के कुख्यात दंगों के दौरान हत्या के प्रयास और दंगे के आरोप में दो व्यक्तियों, इमरान उर्फ मॉडल और इमरान को दोषी ठहराया है। आरोपी व्यक्ति दंगाई भीड़ में शामिल थे, जिसने गोलीबारी कर 25 फरवरी को बृजपुरी पुलिया के पास एक पुलिस टीम और सरकारी कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने से रोका था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने इमरान उर्फ मॉडल और इमरान के खिलाफ जारी फैसले में कहा, "दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148 (दंगा करना, घातक हथियार से लैस होना), 188 (एक लोक सेवक द्वारा विधिवत प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा), 307 (हत्या का प्रयास), 332 (स्वेच्छा से एक लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए चोट पहुंचाना), 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत अपराध करने के लिए दोषी ठहराया जाता है।''
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने सफलतापूर्वक साबित कर दिया है कि दोनों आरोपी उस दंगाई भीड़ का हिस्सा थे जो निषेधाज्ञा के बावजूद इकट्ठा हुई थी। यह भी साबित हो गया कि मॉडल ने पुलिस टीम पर फायरिंग की थी।
फैसले में आगे कहा गया, "यह किसी भी सामान्य व्यक्ति की जानकारी में है कि बंदूक की गोली से व्यक्ति की मौत हो सकती है। यह संयोग की बात थी कि इमरान उर्फ मॉडल द्वारा चलाई गई गोली हेड कांस्टेबल दीपक मलिक को पैर पर लगी।"
अदालत ने यह भी कहा कि दोनों आरोपियों ने पुलिस अधिकारियों को उनके कर्तव्य पालन में बाधा डालने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग किया था।
आरोपियों की पहचान के संबंध में अदालत ने हेड कांस्टेबल मलिक और एक अन्य गवाह हेड कांस्टेबल रोहित कुमार की गवाही को सुसंगत पाया।
इसके अतिरिक्त, मेडिको लीगल केस (एमएलसी) और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट ने मलिक की बंदूक की गोली से चोट की पुष्टि की।
बचाव पक्ष के वकील की इस दलील के जवाब में कि मलिक की चोट की कोई सीसीटीवी फुटेज या तस्वीरें नहीं थीं, अदालत ने कहा कि हर घटना को सीसीटीवी कैमरों द्वारा कैद किया जाना जरूरी नहीं है, खासकर जब दंगों के दौरान कई कैमरे क्षतिग्रस्त हो गए थे, और यह भी स्पष्ट किया चोट की तस्वीर अनिवार्य आवश्यकता नहीं थी।
अदालत ने मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की है।