दिल्ली महिला आयोग: विकलांग बेघर महिलाओं के रैन बसेरो में पाई गंभीर कमियां, दिल्ली पुलिस को नोटिस
दिल्ली न्यूज़: दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने उत्तरी जिले के सब्जी मंडी इलाके में एक एनजीओ 'आश्रय अधिकार अभियान' द्वारा चलाए जा रहे मानसिक रूप से विकलांग महिलाओं के रैन बसेरों में गंभीर खामियां पाई जाने और आपराधिक शिकायत दर्ज होने पर डीयूएसआईबी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया । आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने आयोग की सदस्यों के साथ आश्रय गृह का दौरा किया जहां उन्हें कई समस्याएं मिलीं। डीसीडब्ल्यू ने पाया कि आश्रय में नौ मानसिक रोगी महिलाएं रहती हैं जिनके पुनर्स्थापन के लिए आश्रय द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहा है, उनमें से कई तो वर्ष 2014 से आश्रय गृह में रह रही हैं। आयोग ने दौरे के दौरान जब केस फाइलों का ब्योरा मांगा तो उनका भी ठीक से रखरखाव नही किया जा रहा था एवं कोई भी फाइल में ना कोई नोटिंग और कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नही था। आयोग ने ये भी पाया कि निवासियों के कई मामलों में पुलिस कार्रवाई शुरू करने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाये जा रहे थे।
उदाहरण के तौर पर डीसीडब्ल्यू ने पाया कि 2018 से रैन बसेरे में रह रही एक निवासी घरेलू हिंसा का शिकार थी और उसके पति ने उसे दिल्ली में उसे ससुराल से बाहर निकाल दिया था। तीन साल बीत जाने के बावजूद उस महिला के मामले में अब तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं हुई। इसके अलावा, वहां रहने वालों के उचित स्वास्थ्य रिकॉर्ड भी ठीक से नहीं रखे जा रहे थे, जिनको इबाहस अस्पताल द्वारा निर्धारित दवाएं दी जा रही थी। डीसीडब्ल्यू यह देखकर हैरान रह गया कि शेल्टर में एक मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के पास सभी रोगियों की दवाओं तथा स्वास्थ्य रिकॉर्ड थे जिनको लेकर वह आश्रय में घूम रही थी। इसके अलावा आश्रय में डॉक्टर के आने और रोगियों को प्रदान की जा रही विशेष दवाएं की नियमित जानकारी रखने के लिए भी कोई चार्ट या रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं थे । डीसीडब्ल्यू ने ये भी पाया कि आश्रय अप्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा चलाया जा रहा था और शेल्टर होम मे किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई मानक प्रक्रिया उपलब्ध नहीं थी। डीसीडब्ल्यू शेल्टर होम की सुरक्षा व्यवस्था को देख भी हैरान रह गया क्योंकि दिन के दौरान शेल्टर होम की सुविधा में कोई भी गार्ड मौजूद नहीं था। शाम छह बजे जब डीसीडब्ल्यू ने आश्रय गृह में प्रवेश किया तो गेट पर कोई नहीं था और न ही कोई आगंतुक रजिस्टर या रिकॉर्ड रखा जा रहा था।
डीसीडब्ल्यू ने निवासियों के लिए प्रशिक्षण तथा मनोरंजक गतिविधियों की कमी पर भी ध्यान दिया। आश्रय में कोई लॉन नहीं था और महिलाएं हर समय अपने कॉमन रूम में ही रहती थीं जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए और भी हानिकारक था। डीसीडब्ल्यू को ये भी पता चला की एक पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि उसके व आश्रय में रहने वाली 25 वर्षीय महिला के साथ दो पुरुषों ने बलात्कार किया था। दिल्ली पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज की है और आरोपों की जांच कर रही है। हालांकि, यह प्रतीत होता है कि अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। डीसीडब्ल्यू ने डूसिब को नोटिस जारी कर मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई कर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा, आयोग ने डूसिब को उन निर्णयों की फाइल नोटिंग भी प्रदान करने के लिए कहा जिसके तहत मानसिक रोगी व्यक्तियों के लिए यह आश्रय गृह स्थापित किए गए थे। डीसीडब्ल्यू ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर मामले में तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की और साथ ही पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान करने को भी कहा है । आयोग ने मामले का गहन संज्ञान लेते हुए डूसिब और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को जवाब देने के लिए 28.03.2022 को शाम 4 बजे तक का समय दिया है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने मामले में कहा, "मानसिक रोगी बेघर महिलाओं की यह दुखद स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य है। इन खामियों के लिए जवाबदेही तय करने की जरूरत है और जल्द से जल्द एक बेहतर व्यवस्था बनाना अति आवश्यक है। मैंने डूसिब और दिल्ली पुलिस को मामले में नोटिस जारी किया है और दिल्ली पुलिस को इस मामले में उचित जांच और तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित करने को कहा है ।