संसद में अगले सप्ताह 'दिल्ली संशोधन बिल', पक्ष-विपक्ष के बीच राज्यसभा में संख्या बल का मुकाबला
नई दिल्ली (आईएएनएस)। लोकसभा में विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग कराई जाएगी। लेकिन, सरकार और विपक्ष के बीच संख्या बल का एक महत्वपूर्ण मुकाबला राज्यसभा में भी होगा। दिल्ली अध्यादेश को कानून की शक्ल देने वाला विधेयक सोमवार (31 जुलाई) से शुरू हो रहे सप्ताह के दौरान राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने हैं।
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन के मुताबिक अगले सप्ताह राज्यसभा में 'गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधन) बिल' लाया जाएगा। यह विधेयक दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए एक प्राधिकार गठित करने का प्रावधान करता है। इंडिया गठबंधन के सभी विपक्षी सांसदों ने विधेयक का कड़ा विरोध किया है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार के इस ऑर्डिनेंस ने दिल्ली सरकार की शक्तियां छीनकर उपराज्यपाल को दे दी है।
गौरतलब है कि दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार का मामला सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट में था। 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने माना कि दिल्ली सरकार में सेवारत सिविल सेवक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह हैं।
सांसद राघव चड्ढा के मुताबिक इस आदेश के कुछ दिन बाद केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश ने दिल्ली सरकार से नियंत्रण लेकर इसे एलजी को सौंप दिया। इस अध्यादेश को अब विधेयक के रुप में लोकसभा व राज्यसभा की मंजूरी दिलाई जानी है। संसद में विधेयक पर चर्चा के दौरान दिल्ली अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाले प्रस्तावों पर भी चर्चा होगी।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पहल पर उन्हें विपक्ष का समर्थन भी मिला है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, शिवसेना यूबीटी, शरद पवार, आरजेडी, डीएमके और लेफ्ट पार्टियों समेत कई दल इस विषय पर सरकार के खिलाफ वोट करने का ऐलान कर चुके हैं।
वहीं, बीजू जनता दल (बीजेडी) जैसे कुछ दलों ने इस मुद्दे पर अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। बीजेडी के राज्यसभा सदस्य अमर पटनायक का कहना है कि उनकी पार्टी के भीतर हुई आंतरिक चर्चा को उजागर नहीं किया जा सकता है। उनकी पार्टी इस विषय पर समय आने पर निर्णय लेगी।
बीते दिनों जदयू ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश समेत राज्यसभा और लोकसभा के सभी सदस्यों को तीन लाइन व्हिप जारी किया था। इस व्हिप में सभी राज्यसभा सदस्यों को 27 जुलाई से लेकर 11 अगस्त तक सदन में मौजूद रहने और दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक के खिलाफ वोट करने के लिए कहा गया है।
राज्यसभा में जदयू के मुख्य सचेतक अनिल प्रसाद हेगड़े के मुताबिक पार्टी के सभी सांसदों से कहा गया है कि विधेयक पर मतदान की स्थिति में पार्टी के रुख का समर्थन करें। कांग्रेस और अन्य दलों ने भी अपने-अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है।