दिल्ली नगर निगम के तीनों लैंडफिल साइटों पर 26.1 लाख मीट्रिक टन कचरे में आई कमी

Update: 2022-10-13 05:52 GMT

दिल्ली न्यूज़: राष्ट्रीय राजधानी में स्थित दिल्ली नगर निगम के तीनों लैंडफिल साइटों भलस्वा, ओखला व गाजीपुर में पुराने कचरे में कमी आने का दावा किया गया है। बताया गया है कि पिछले चार महीने जून से सितम्बर के बीच इन लैंडफिल साइटों पर 26.1 लाख मीट्रिक टन कचरे की कमी दर्ज की गई है जो कि पिछल तीन वर्षों की तूलना में 462 प्रतिशत ज्यादा है। दरअसल वी.के. सक्सेना के दिल्ली के उपराज्यपाल बनने क बाद उन्होंने लैंडफिल साइटों पर कूड़े क पहाड़ को कम करने के लिए अपने प्रयास तेज किए, इसके बाद दिल्ली नगर निगम प्रशासन ने इस पर गंभीरता से कार्य करना शुरू किया। उपराज्यपाल (एलजी) के प्रयास से अब लैंडफिल साइटों पर 229.1 लाख मीट्रिक टन कचरा था जो कि अब घटकर 203 लाख मीटिक टन हो गया है। यानी कि जून 2022 से हर महीने 6.52 लाख मीट्रिक टन कचरे का निपटारा किया गया है।

उपराज्यपाल कार्यालय के मुताबिक वर्ष 2019 के मध्य में तीनों लैंडफिल साइटों पर कुल पुराना कचरा 280 लाख मीट्रिक टन था, जो मई 2022 में घटकर 229.1 लाख मीट्रिक टन हो गया, जिससे तीन वर्षों में 1.41 लाख मीट्रिक टन प्रति माह की दर से 50.9 लाख मीट्रिक टन का निपटान हुआ। एलजी सक्सेना के कार्यभार संभालने के बाद कचरा निपटान की प्रक्रिया को बड़ा प्रोत्साहन मिला और एमसीडी को एक मिशन-मोड में कचर के पहाड़ को खत्म करने के लिए एलजी ने खुद लैंडफिल साइटों का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने कई अवसरों पर व्यक्तिगत रूप से किए जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया। एलजी सचिवालय तबसे दैनिक आधार पर प्रगति की निगरानी कर रहा है।

एमसीडी लैंडफिल साइटों पर डंप किए गए कचरे को संसाधित करने और अलग करने के लिए ट्रॉमेल मशीनों का उपयोग करता है। मई के अंत में एलजी के दौरे के बाद खराब मशीनों की मरम्मत की गई और पुरानी मशीनों को बदला गया। मई, 2022 में एलजी के दौरे के बाद ऐसी मशीनों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई थी और 50 और ट्रोमेलिंग मशीनें, जिनके लिए निविदा अंतिम चरण में है, को जल्द ही तैनात किया जाएगा। वर्तमान में लैंडफिल साइटों से ऊर्जा संयंत्रों में प्रतिदिन 5750 मीट्रिक टन रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ),जिसका उपयोग विभिन्न औद्योगिक बॉयलरों जैसे बिजली संयंत्रों, आदि में जलाने में किया जा सकता है, की खपत हो रही है। मई, 2022 में एलजी के दौरे के बाद गाजीपुर में डब्ल्यूटीई प्लांट बंद पड़ा हुआ था, और यह प्रतिदिन 1300 मीट्रिक टन आरडीएफ की खपत करता है। इसी तरह, बवाना और ओखला के संयंत्र प्रतिदिन 2500 मीट्रिक टन और 1950 मीट्रिक टन की खपत करते हैं। तेहखंड में एक और अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र में प्रतिदिन 1000 मीट्रिक टन आरडीएफ का प्रसंस्करण कर रहा है। गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम ने लैंडफिल साइटों के कचरे के पहाड़ को खत्म करने का लक्ष्य वर्ष 2024 रखा है। 

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