अदालत ने बच्ची की हत्या कर शव को नाले में फेकने के आरोप में दोषी को सुनाई उम्रकैद की सज़ा
दिल्ली कोर्ट रूम अपडेट: कडक़डड़ूमा जिला अदालत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार मट्टू की अदालत ने गोकलपुरी इलाके से पांच वर्षिय बच्ची का अपहरण कर हत्या करने के बाद शव नाले में फेंक कर ठिकाने लगने के दोषी फिरोज उर्फ गोटा को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 40 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। पेश मामले में अदालत ने पाया कि दोषी पीड़ित परिवार को मुआवजा देने में सक्षम नहीं है, अदालत ने उत्तर पूर्वी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण डीएलएसए को निर्देश दिया कि वह पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत चार लाख रुपये मुआवजा दे। आदेश देते हुए यह स्पष्ट किया कि दोषी भविष्य में किसी भी समय किस स्रोत या संपत्ति की बिक्री से धन प्राप्त करता है तो वह मुआवजा राशि का भुगतान डीएलएसए को करेगा।
30 सितंबर 2014 को गोकलपुरी थाना पुलिस ने एक पांच वर्षीय बच्ची के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था। शिकायतकर्ता धर्मराज दुबे ने पुलिस को बताया था कि चांद बाग में घर के बाहर से उनकी बेटी का अपहरण कर लिया गया था। उन्होंने एक युवक पर शक भी जाहिर किया था। चार अक्टूबर 2014 को प्लास्टिक बैग में बच्ची का शव जौहरीपुर नाले में मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत बताई गई थी। इसके बाद मुकदमे में हत्या और साक्ष्य मिटाने की धाराएं जोड़ दी गई थीं।
पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से युवक की पहचान की थी। छह नवंबर 2014 को ब्रजपुरी बस स्टाप से पुलिस ने फिरोज उर्फ गोटा को हिरासत में लिया था। पुलिस पूछताछ में फिरोज ने अपना गुनाह कुबूल किया था। यह बताया था कि अपहरण करने के बाद रात को बच्ची रो रही थी। आवाज बंद के लिए उसका मुंह हाथ से कुछ देर तक बंद रखा था, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई थी। फिरोज ने अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारा, लेकिन वह अपने बयानों को सत्यापित करने के लिये कोई साक्ष्य पेश नहीं कर सका। अदालत ने फिरोज को नौ मार्च 2022 को दोषी करार दिया था।
अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस जुर्म के लिए सजा, मौत और उम्रकैद की सजा का प्रविधान है। यह दुर्लभ श्रेणी का मामला नहीं है, इसलिए सजाए मौत नहीं दी जा सकती। दोषी की कम उम्र के मद्देनजर हुए उसे उम्रकैद की सजा के साथ 40 हजार जुर्माना भी लगाया है।