निगम परिसीमन आयोग ने दिया निर्देश: हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम तीन नए वार्ड, मतदाताओं को होगी सुविधा
दिल्ली नगर निगम न्यूज़: अब मतदाताओं को अपना वोट देने के लिए दूसरी विधानसभा में नहीं जाना होगा। दिल्ली नगर निगम परिसीमन आयोग ने निर्देश दिया है कि हर एक विधानसभा में कम से कम तीन वार्ड बनाए जाएं और एक विधायक के अंतर्गत ये तीनों वार्ड हों। मतदाताओं का विभाजन 2011 की जनगणना के आधार पर होगा, इसके आंकड़े मिल गए हैं और सभी वार्ड में व्यवहारिकता, प्राकृतिक सीमाएं, मौजूदा बाउंड्री, प्रशासनिक इकाईयों, सुविधाओं, जनता की सुविधा का ध्यान सबसे ऊपर होगा। वार्ड तय करते हुए मतदाताओं की संख्या 10 प्रतिशत ज्यादा या कम होगी। परिसीमन में बाउंड्री तय करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की जियो स्पेशल दिल्ली लिमिटेड कंपनी को दी गई है। जीएसडीएल आंकड़ों के आधार पर डिजिटल नक्शों के साथ गणना के आधार पर एक ही विधानसभा क्षेत्र में वार्ड बनाने के लिए काम करेगा। परिसीमन में विस्तृत विचार विमर्श कंपनी के साथ किया गया है। परिसीमन आयोग की बैठक में वीरवार को कई पहलुओं पर चर्चा हुई और मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि नई विधानसभा क्षेत्र के अनुसार मतदाता सूची, नक्शे मतदान केंद्रों के अनुसार दी है।
मंडलायुक्त कार्यालय को भी मौके मुआयने के लिए सहयोग के निर्देश दिए हैं वहीं चुनाव अधिकारियों को भी निर्देश दिए हैं वे इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरी करवाएं। निगम आयुक्त ने भी आश्वस्त किया कि सर्वे आदि में वह पूरा सहयोग करेंगे। सभी मतदाता हर हाल में शामिल किए जाएंगे, मतदाताओं को मतदान के लिए असुविधा नहीं होगी, जैसे ही प्रस्तावित परिसीमन तैयार होगा उसे सार्वजनिक कर आपत्ति, सुझाव मांगे जाएंगे। सभी हितधारकों को निर्देश दिए गए हैं वह तुरंत इस कार्य में जुट जाएं। बता दें कि अगले चार महीने में परिसीमन का कार्य पूरा किया जाना है।
हालांकि परिसीमन में ग्रामीण और शहरी इलाकों को लेकर कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। एमसीडी के वार्डों के क्षेत्रफल और उनमें आबादी का अंतर होने का आम लोगों को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल पार्षदों को बजट, कर्मचारी व कूड़ा उठाने के लिए वाहन एक समान मिलते है। इस कारण छोटे वार्डों में विकास कार्य के लिए बजट की दिक्कत नहीं होगी, जबकि ग्रामीण इलाकों के बड़े वार्डों के पार्षदों को अपने इलाके की समस्याएं दूर कराने के लिए बजट की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा बड़े वार्डों के पार्षदों को विभिन्न विभागों के कर्मचारियों, कूड़ा उठाने के लिए टिप्परों और अन्य सुविधाओं की भी दिक्कत होगी। उन्हें यह सभी छोटे वार्डों के पार्षदों के बराबर मिलेगी।