दिल्ली: बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी की एम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई। बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में दोषी शहजाद अहमद उर्फ पप्पू का एम्स में पित्ताशय की पथरी से संबंधित इलाज चल रहा था। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में खालिसपुर का रहने वाले शहजाद अहमद को 6 फरवरी 2010 को तिहाड़ जेल से अस्पताल भर्ती कराया गया था। जेल अधिकारियों ने बताया शहजाद अहमद 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत हो गई थी। अहमद ने ही इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को गोली मारी थी।
11 जनवरी को एम्स में हुआ था रेफर
अहमद पर छह अन्य मामलों में भी मुकदमा चल रहा था। इनमें से एक मुकदमा बेंगलुरू में दर्ज हुआ था।एक अधिकारी ने कहा कि अहमद को 8 दिसंबर, 2022 को पित्ताशय की पथरी से जुड़ी समस्या के इलाज के लिए जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 27 दिसंबर को उसे सफदरजंग अस्पताल भेजा गया था। इसके बाद उन्हें 11 जनवरी को एम्स अस्पताल रेफर किया गया था। शनिवार को अधिकारियों ने बताया कि अहमद की सुबह 7.42 बजे एम्स अस्पताल में मौत हो गई।
इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा था शहजाद
दिल्ली में सिलसिलेवार बम धमाकों में 39 लोग मारे गए थे और 159 घायल हुए थे। इसके बाद दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर में पुलिस और कथित आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर शर्मा की मौत हो गई थी। इसमें इंडियन मुजाहिदीन का अहमद शहजाद भी शामिल था। पुलिस को जामिया नगर के बाटला हाउस स्थित मकान से अहमद शहजाद का पासपोर्ट मिला था। पुलिस ने जब साल 2010 में अहमद शहजाद को गिरफ्तार किया तो उसने इंस्पेक्टर को गोली मारने की बात स्वीकार की थी।
कमर्शियल पायलट बनना चाहता था शहजाद
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आजमगढ़ के रहने वाले वाले शहजाद के सपने कुछ और थे लेकिन वह आतंक के दलदल में फंस गया। दरअसल शहजात कमर्शियल पायलट बनना चाहता था। साल 2008 में दिल्ली में हुए विस्फोटों से कुछ पहले ही शहजाद यहां आया था। वह ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए अपना वीजा और पासपोर्ट लेने के लिए आया था। बाद में पुलिस ने खुलासा किया था कि उसने अपने माता-पिता से पैसे तो लिए थे लेकिन उसने पायलट की ट्रेनिंग नहीं ली थी।