नई दिल्ली, (आईएएनएस)| डीएससी ए23 (वाई-328) परियोजना के लिए चौथे गोताखोरी सहायता जहाज (डीएससी) के निर्माण-कार्य शुरू कर दिया गया है। नौसेना के लिए बनाए जा रहे यह जहाज बंदरगाहों के पास जहाजों मरम्मत और रख-रखाव में सहायता करेंगे।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक गोताखोरी सहायता जहाज (डीएससी) के निर्माण-कार्य की शुरूआत पर 17 जनवरी 2023 को मैसर्स टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड, कोलकाता में एक समारोह आयोजित किया गया। रियर एडमिरल संदीप मेहता, एसीडब्ल्यूपी एंड ए ने इस समारोह की अध्यक्षता की।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन जहाजों को 2023 के अंत से भारतीय नौसेना में शामिल किये जाने की शुरूआत होगी, जो बंदरगाह के करीब के जहाजों को पानी के नीचे की मरम्मत, रख-रखाव और बचाव के लिए गोताखोरी सहायता प्रदान करेंगे। इसके अलावा, मुख्य और सहायक उपकरण स्वदेशी निमार्ताओं से प्राप्त किए जा रहे हैं तथा ये जहाज रक्षा मंत्रालय की 'मेक इन इंडिया' और 'मेक फॉर द वल्र्ड' पहल के गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।
गौरतलब है कि हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 4,276 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 10 जनवरी, 2023 को आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की एक बैठक में 4,276 करोड़ रुपये की राशि के तीन पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति दी गई। सभी तीन प्रस्तावों में भारतीय सेना के दो और भारतीय नौसेना का एक प्रस्ताव (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के अंतर्गत हैं।
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने हेलिना एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, लॉन्चर और संबद्ध सहायक जैसे उपकरणों की खरीद के लिए भी आवश्यकता की स्वीकृति प्रदान की है। इसे उन्नत व हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) में एकीकृत किया जाएगा। शिवालिक वर्ग के जहाजों के लिए ब्रह्मोस लॉन्चर और फायर कंट्रोल सिस्टम और डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकासित मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए भी मंजूरी दी गई है।
यह हेलिना एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल दुश्मन के खतरे का मुकाबला करने के लिए एएलएच के शस्त्रीकरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके शामिल होने से भारतीय सेना की आक्रामक क्षमता मजबूत होगी।
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