आपराधिक कार्यवाही रद्द करने में बरती जानी चाहिए सावधानी, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक कार्यवाही रद करने की शक्ति का इस्तेमाल बहुत समझदारी और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।

Update: 2022-02-19 15:01 GMT

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक कार्यवाही रद करने की शक्ति का इस्तेमाल बहुत समझदारी और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। जस्टिस बीआर गवई और एस रवींद्र भट की पीठ ने संपत्ति विवाद में तीन लोगों के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला रद करते हुए यह टिप्पणी की।

दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में रद हो आपराधिक कार्यवाही
पीठ ने कहा, अदालत आगाह करती है कि आपराधिक कार्यवाही को रद करने की शक्ति का इस्तेमाल बहुत समझदारी से और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। यह काम दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने मामलों की कुछ श्रेणियों को स्पष्ट किया है, जहां कार्यवाही रद करने की शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कोर्ट ने मामले की श्रेणियों को किया स्पष्ट
पीठ ने कहा, जिन श्रेणियों में इस शक्ति का उपयोग किया जा सकता है, उनमें से एक यह है कि आपराधिक कार्यवाही प्रकट रूप से दुर्भावनापूर्ण हो। इसके अलावा आरोपित से प्रतिशोध लेने के लिए या निजी द्वेष के कारण उसे उकसाने की दृष्टि से चलाए गए मामले को रद करने में भी इस शक्ति का उपयोग किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में आरोपितों को परेशान करने के मकसद से उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। मजिस्ट्रेट आपराधिक दंड संहिता की धारा 156 (3) के तहत आदेश पारित करते समय शीर्ष न्यायालय द्वारा तय कानून पर विचार करने में पूरी तरह नाकाम रहा है।
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