बिल्डर ने ट्विन टावर बनाने का किया प्रयास

Update: 2023-02-08 12:55 GMT

गाजियाबाद न्यूज़: क्रासिंग रिपब्लिक के महागुन बिल्डर के खिलाफ खरीदारों ने सात साल लंबी लड़ाई लड़ी. हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश शासन में आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग में सचिव रणवीर प्रसाद ने आदेश दिए कि महागुन बिल्डर ने 21 मंजिला दोनों टावर का नक्शा ओपन एरिया की जमीन पर स्वीकृत किया गया था, जो गलत है. उसे निरस्त करते हुए अपार्टमेंट एक्ट के प्राविधानों का संज्ञान लेते हुए आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं.

जीडीए ने साल 2006 क्रासिंग रिपब्लिक को इंटीग्रेटेड टाउनशिप बसाने के लिए लाइसेंस दिया था. इसमें भूखंड संख्या जीएच-पांच, जिसका क्षेत्रफल करीब 40 हजार वर्गमीटर था. उस पर महागुन बिल्डर ने महागुन मस्काट प्रोजेक्ट के लिए 13 टावर में 1159 फ्लैट बनाने का नक्शा स्वीकृत कराया था. वर्ष 2011 तक यह फ्लैट तैयार हो गए. इसी दौरान बिल्डर ने कई बार ले-आउट में परिवर्तन कराते हुए शमन मानचित्र स्वीकृत कराया.

फरवरी 2016 में बिल्डर ने जीडीए से शमन मानचित्र स्वीकृत कराया. उसमें जीडीए अधिकारियों की मिलीभगत से ओपन एरिया की जमीन पर दो टावर वाई-तीन, वाई-चार में 259 फ्लैट बनाने का नक्शा स्वीकृत कराया, जबकि बिल्डर उसे ओपन एरिया के लिए अन्य खरीदारों से प्राइम लोकेशन चार्ज वसूल चुका था. यह मामला खरीदारों के संज्ञान में आने पर उन्होंने इसकी जीडीए में शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

इसी दौरान बिल्डर ने दोनों टावर का निर्माण शुरू कर दिया. फिर 28 फरवरी 2017 को खरीदारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. हाई कोर्ट ने निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश दिया और उत्तर प्रदेश शासन में आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग को सुनवाई कर मामला निस्तारित करने के आदेश दिए. सुनवाई के बाद यहां से बिल्डर के पक्ष में निर्णय हुआ. फिर फ्लैट खरीदार 2018 में दोबारा से हाई कोर्ट चले गए, अदालत ने निर्माण पर रोक जारी रखते हुए जीडीए को मामला निस्तारित करने के आदेश दिए.

जीडीए में सुनवाई के दौरान बिल्डर ने हलफनामा दिया कि जिन फ्लैट खरीदारों से पीएलसी ली गई है. उनका पैसा वापस कर दिया गया है, जिसके बाद जीडीए ने मार्च 2022 में आदेश दिए कि बिल्डर ने पीएलसी वापस कर दी है लिहाजा दोनों टावर बनाए जा सकते हैं.

सुनवाई के बाद आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग के सचिव रणवीर प्रसाद ने आदेश दिए कि ओपन एरिया की जमीन पर टावर बनाने से पूर्व के आवंटियों की कामन एरिया में हिस्सेदारी कम हो जाती है.

Tags:    

Similar News

-->